प्रदोष व्रत पूजा विधि 2022 Pradosh Vrat Pooja Vidhi
Pradosh Vrat Kab Hai हर माह की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है. पंचांग के अनुसार महीने के दोनों पक्ष कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है. त्रयोदशी तिथि भगवान् शिव को समर्पित है. यदि प्रदोष व्रत शनिवार को पड़े तो इसे शनि प्रदोष कहते है शनि प्रदोष के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की आराधना करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 5 नवंबर शनिवार के दिन है जिस कारण यह शनि प्रदोष होगा. आज हम आपको साल 2022 में कार्तिक शुक्ल शनि प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, नियम और इस दिन किये जाने वाले महाउपाय के बारे में बताएँगे.
कार्तिक प्रदोष व्रत तिथि शुभ मुहूर्त Pradosh Vrat November 2022 Date
- साल 2022 में कार्तिक शुक्ल प्रदोष व्रत 5 नवम्बर शनिवार के दिन रखा जाएगा|
- प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त होगा – सायंकाल 05:33 मिनट से 08:10 मिनट तक|
- पूजा की कुल अवधि 02 घण्टे 37 मिनट्स की होगी|
- त्रयोदशी प्रारम्भ होगी – 05 नवम्बर सायंकाल 05:06 मिनट |
- त्रयोदशी समाप्त होगी – 06 नवम्बर सायंकाल 04:28 मिनट |
शनि प्रदोष पूजा विधि Pradosh Vrat Puja Vidhi
Pradosh Vrat kab hai शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल यानि की शाम के समय करने की मान्यता है. त्रयोदशी के दिन सूर्यास्त से पहले पुनः स्वच्छ होकर पूजा के शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की विधिवत पूजा करे. सबसे पहले पूजास्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन ग्रहण करें। भगवान शिव का गंगाजल मिले जल से अभिषेक करें। उसके बाद महादेव को चन्दन का तिलक कर उनके प्रिय बेलपत्र, धतूरा, फल, फूल, अक्षत्, धूप-दीप चढ़ाएं और ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। यह शनि प्रदोष होगा इसीलिए इस दिन भगवान् शिव के साथ शनिदेव की पूजा कर उन्हें उनकी प्रिय चीजे अर्पित करे इससे मनोकामना पूरी होती है.
प्रदोष व्रत के नियम Pradosh Vrat ke Niyam
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने सुबह और शाम शिव पूजन करना चाहिए.
- इस दिन ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए.
- त्रयोदशी तिथि के दिन प्याज, लहसुन, या अन्य तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.
- प्रदोष व्रत में प्रदोष काल की पूजा से पहले फिर से स्नान करने के बाद ही पूजा करनी चाहिए.
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शनि प्रदोष व्रत उपाय Pradosh Upay
- शनि प्रदोष व्रत के दिन शनि दोष निवारण के लिए संध्याकाल में भोलेनाथ को काला तिल अर्पित करें और 108 बार भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र “नमः शिवाय” का जप करें.
- शनि प्रदोष के दिन 21 बेलपत्र एक-एक करके शिव मंत्र का जाप करते हुए चढ़ाना चाहिए.
- प्रदोष व्रत के दिन शिव चालीसा का पाठ करना शुभ होता है इससे शनि दोष का प्रभाव कम होता है.
- शनि प्रदोष के दिन छाया दान करना चाहिए इसके लिए तेल में एक सिक्का डालकर उसमें अपनी छाया देखें और उस तेल को मंदिर या किसी जरूरतमंद को दान करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है.
- शास्त्रों के अनुसार शनि प्रदोष के दिन उड़द दाल, खिचड़ी, सरसों का तेल, छतरी, काले तिल, काले जूते और कंबल आदि चीजों का दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते है।