सावन मंगला गौरी व्रत पूजन व उद्यापन विधि | Mangala Gauri Vrat Date Time 2020

मंगला गौरी व्रत नियम उपाय Mangala Gauri Vrat Upay

मंगला गौरी व्रतमंगला गौरी व्रत- मान्यताओं के अनुसार मां मंगला गौरी की उपासना से भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा मिलती है. मंगला गौरी का व्रत करने से विवाह और वैवाहिक जीवन में आने वाली सभी समस्याओ को दूर किया जा सकता है. यह व्रत प्रत्येक साल सावन माह के मंगलवार के दिन पड़ता है इस दिन सभी सुहागन महिलाये पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है आज हम आपको सावन माह के पहले मंगला गौरी व्रत के शुभ तिथि पूजा विधि व्रत कथा और इस दिन अटल सुहाग के लिए किये जाने वाले एक चमत्कारी उपाय के बारे में बताएँगे।

मंगला गौरी व्रत पूजा विधि व नियम Mangala Gauri Vrat Niyam

मां मंगला गौरी की उपासना से भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है साल 2020 सावन माह का पहला मंगला गौरी व्रत है 7 जुलाई मंगलवार के दिन है इस व्रत को करने के विशेष नियम है। इस दिन प्रातःकाल उठकर स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प ले और माता गौरी की प्रतिमा पूजा स्थल पर स्थापित करे इसके बाद आटे से निर्मित दिया बनाकर षोडशोपचार से माता गौरी की पूजा करे. पूजा में माँ गौरी को सुहाग का सभी सामान अर्पित करे और इसके बाद मंगला गौरी व्रत कथा पढ़कर सभी में प्रसाद वितरण करे.

मंगला गौरी की व्रत कथा Mangala Gauri Vrat Katha

पौराणिक कथा के अनुसार एकबार धर्मपाल नाम का एक सेठ था. सेठ धर्मपाल के पास धन की कमी तो नहीं थी, लेकिन उनकी कोई संतान न थी. जिस कारण वह हमेशा चिंतित रहते। एकबार गुरु के परामर्श से सेठ धर्मपाल ने माता पार्वती की श्रद्धा पूर्वक उपासना की. जिससे खुश होकर माता पार्वती ने उसे संतान प्राप्ति का वरदान दिया, लेकिन संतान अल्पायु थी. कुछ समय बाद धर्मपाल को पुत्र प्राप्ति हुई.

उन्होंने एक ज्योतिषी द्वारा पुत्र का नामांकरण करवाया और उन्हें माता पार्वती की भविष्यवाणी बताई तब ज्योतिषी ने उन्हें सलाह दी की वह अपने पुत्र का विवाह उस कन्या से कराए जो मंगला गौरी व्रत करती हो. मंगला गौरी व्रत के पुण्य प्रताप से आपका पुत्र दीर्घायु होगा. सेठ धर्मपाल ने ऐसा ही किया। उस कन्या के पुण्य प्रताप से धर्मपाल का पुत्र दीर्घायु हुआ. तभी से मां मंगला गौरी व्रत करने की प्रथा चली आ रही है.

अखंड सौभाग्य प्राप्ति उपाय Mangala Gauri Vrat Upay

जैसा की गौरी पूजन नाम से ही स्पष्ट है, मां गौरा अर्थात् माता पार्वती के लिए किया जाने वाला व्रत| पुराणों के अनुसार, भगवान शिव-पार्वती को श्रावण मास अति प्रिय है। यह व्रत श्रावण माह के मंगलवार को ही किया जाता है। इसलिए इसे मंगला गौरी कहते है।  शास्त्रों के अनुसार यदि इस व्रत में 16 कि संख्या का बड़ा महत्व है इसीलिए यदि इस दिन महिलाये माता गौरी को सुहाग की सामग्री में 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करती है तो उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.  आज के दिन माता गौरी की पूजा में दीपक भी 16 बत्तियों वाला जलाना शुभ होता है।

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मंगला गौरी व्रत उद्यापन विधि Mangala Gauri Vrat Udhyapan Vidhi

यदि आप 5 वर्षो तक इस व्रत को करते है तो आपको उद्यापन अवश्य करना चाहिए उद्यापन लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर लाल वस्त्र धारण करे इसके बाद ब्राह्मण और सोलह सुहागन स्त्रियों को भोजन के लिए आमंत्रित करें। अपने पति के साथ हवन और माँ गौरी का विधिवत पूजन करें और मां को श्रृंगार समान अर्पित करें। हवन के बाद माता मंगला गौरी की आरती करे और सभी में सभी में प्रसाद वितरण करें। अंत में ब्राह्मण और सभी सोलह स्त्रियों को भोजन कराएं दान दक्षिणा देकर विदा करे.

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