चैत्र नवरात्रि 2023 में कब से शुरू है | Chaitra Navratri Kab Hai 2023

नवरात्री कलश स्थापना विधि Navratri Kalash Sthapana Vidhi  

 Chaitra Navratri Kab Hai Chaitra Navratri Kab Hai  साल में कुल 4 बार नवरात्रि आती है जिनमे से दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष नवरात्रि होती है. चैत्र मास की नवरात्रि चैत्र प्रतिपदा से प्रारम्भ होती है नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा को समर्पित हैं. कहते हैं कि इस 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों का विधि-विधान से करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. चैत्र प्रतिपदा से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी होती है. आइये जानते है साल 2023 में चैत्र नवरात्रि व्रत तिथियां, कलश या घट स्थापना की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और नवरात्रि कलश स्थापना पूजा विधि के बारे में बताएँगे.

चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त 2023 Chaitra Navratri 2023 Muhurat

  1. साल 2023 में चैत्र नवरात्रि का पर्व 22 मार्च बुधवार से शुरू होकर 30 मार्च तक चलेगा|
  2. प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 21 मार्च रात्रि 10:52 मिनट|
  3. प्रतिपदा तिथि समाप्त – 22 मार्च रात्रि 08:20 मिनट|
  4. कलश स्थापना शुभ मुहूर्त होगा – 22 मार्च प्रातःकाल 06:21 मिनट से प्रातःकाल 07:43 मिनट तक|

चैत्र नवरात्रि संपूर्ण व्रत तिथियां Chaitra Navratri Dates 2023

  1. 22 मार्च पहला नवरात्रि व्रत माँ शैलपुत्री
  2. 23 मार्च दूसरा नवरात्रि व्रत मां ब्रहृमचारिणी
  3. 24 मार्च तीसरा नवरात्रि व्रत मां चंद्रघंटा
  4. 25 मार्च चौथा नवरात्रि व्रत मां कूष्मांणा
  5. 26 मार्च पांचवा नवरात्रि व्रत मां स्कंद माता
  6. 27 मार्च छठा मां कात्यायनी
  7. 28 मार्च सातवां नवरात्रि व्रत मां कालरात्रि
  8. 29 मार्च आठवां नवरात्रि व्रत मां महागौरी
  9. 30 मार्च नौवा नवरात्रि व्रत मां सिद्धिदात्री
  10. चैत्र नवरात्रि का पारण 31 मार्च को दशमी तिथि के दिन किया जाएगा

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कलश स्थापना विधि Chaitra Navratri 2023 Kalash Sthapana

नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा तिथि में कलश या घट स्थापना की जाती है प्रतिपदा तिथि के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प ले और कलश स्थापना के लिए सर्वप्रथम मिट्टी के बर्तन में सप्त धान्य बौ ले और इसमें ही जल से भरे कलश की स्थापना करे. सबसे पहले कलश में स्वास्तिक बनाये और इसमें साफ़ जल भरे अब कलश में सिक्का, दूब, सुपारी और चावल डालकर कलश के ऊपरी भाग में कलावा बांड ले. कलश के ऊप्पर अशोक या आम के 5 पत्ते लगाए और फिर एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर कलश के ऊपर स्थापित कर दें. इस तरह घटस्थापना पूर्ण होने के बाद समस्त देवी देवताओ का आह्वान कर विधिवत माता शैलपुत्री की पूजा करे.

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