चंद्र ग्रहण कैसे लगता है what is a Lunar Eclipse
परिक्रमा के इसी काल में जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है और पृथ्वी से चाँद का पूरा हिस्सा छिप जाता है इसी घटना को चंद्रग्रहण कहा जाता है। चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा को ही घटित होता है। चंद्रग्रहण को पृथ्वी के रात्रि पक्ष के किसी भी स्थान से देखा जा सकता है और हम ऐसे अपनी नग्न आँखों से भी देख सकते हैं क्योंकि चंद्रग्रहण की उज्वलता पूर्ण चंद्रमा से भी कम होती है।
आखिर क्यों चंद्रमा के कहने पर भगवान विष्णु ने काटा राहु का सिर –
पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय जब भगवन विष्णु मोहिनी का रूप धारण कर देवताओं को अमृत पिला रहे थे तब राहु भी देवताओं का भेष बनाकर देवताओं के बीच बैठ गया और देवताओं के साथ उसने भी अमृत पि लिया लेकिन राहु को ऐसा करते सूर्य और चंद्रमा ने देख लिया और उन्होंने राहु की इस बेईमानी की शिकायत भगवन विष्णु से कर दी।
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राहु के इस छल से क्रोधित होकर भगवन विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। परंतु अमृत पिने से उसकी मृत्यु नहीं हुई भगवान ब्रह्मा ने उसे ग्रह बना दिया उसका मस्तक राहु और धड़ केतु के रूप में जाना जाने लगा। इस घटना के बाद से राहु चंद्रमा और सूर्य से बेर रखते हैं। वह समय समय पर सूर्य और चंद्रमा को राहु के रूप में ग्रसते हैं ,जिसे ग्रहण कहते हैं ।