वट सावित्री व्रत पूजा विधि Vat Savitri Vrat Puja Vidhi
वट सावित्री व्रत शुभ मुहूर्त Vat Savitri Vrat Shubh Muhurat 2023
- ब्रह्म मुहूर्त – 19 मई सुबह 04:06 मिनट से सुबह 04:47 मिनट|
- प्रातःकाल मुहूर्त – 19 मई सुबह 04:26 मिनट से सुबह 05:28 मिनट|
- अभिजीत मुहूर्त – 19 मई सुबह 11:50 मिनट से दोपहर 12:45 मिनट|
- विजय मुहूर्त – 19 मई दोपहर 02:34 मिनट से सायंकाल 03:29 मिनट|
- गौधूलि मुहूर्त – 19 मई सुबह 07:06 मिनट से सुबह 07:26 मिनट|
पूजा के चौघड़िया मुहूर्त Vat Savitri Muhurat 2023
- चर सामान्य मुहूर्त – सुबह 05:28 मिनट से सुबह 07:11 मिनट
- लाभ उन्नति मुहूर्त – सुबह 07:11 मिनट से सुबह 08:53 मिनट
- अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त – सुबह 08:53 मिनट से सुबह 10:35 मिनट
- शुभ उत्तम मुहूर्त – दोपहर 12:18 मिनट से दोपहर 02:00 बजे
वट सावित्री पूजा विधि Vat Savitri Vrat Puja Vidhi
शास्त्रों के अनुसार वट सावित्री के दिन जल्दी उठकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. सबसे पहले घर के पूजास्थल पर धूप-दीप जलाकर पूजा करे. एक बांस की टोकरी में सात तरह के अनाज और दूसरी टोकरी में देवी सावित्री सत्यवान की प्रतिमा व अन्य सभी पूजन सामग्री रखे और वट वृक्ष की पूजा के लिए जाएं. वट वृक्ष के नीचे सावित्री सत्यवान की प्रतिमाये रखकर सबसे पहले वट वृक्ष पर जल चढ़ाये. अब सभी पूजन सामग्री वट वृक्ष को अर्पित करें। इसके बाद सूत के धागे को वट वृक्ष की पांच, सात या बारह परिक्रमा लगाते हुए बांध ले. हर परिक्रमा पर एक-एक चना वृक्ष में चढ़ाती जाती हैं।
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इसके बाद हाथ में काला चना लेकर व्रत कथा पढ़े अथवा सुने. अंत में सावित्री सत्यवान व वट वृक्ष की आरती कर अखंड सौभाग्य की कामना करे. पूजा के बाद भीगे हुए चनों का बायना निकालकर सास को भेंट करना चाहिए. पुराणों के अनुसार, वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों देवताओं का वास माना गया है। वट वृक्ष के नीचे ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को जीवित किया था इसीलिए इस दिन वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजन और व्रत कथा सुनने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।