सावन अंगारकी संकष्टी चतुर्दशी व्रत 2018 Sankashti Chaturthi Vrat Festival
Savan Chaturthi Vrat 2018- 31 जुलाई 2018 को सावन संकष्टी चतुर्थी व्रत है। यह व्रत माता पार्वती के प्रिय पुत्र गजानन को समर्पित है संकट चतुर्थी या संकष्टी चतुर्थी व्रत जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिए किया जाता है इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। संकष्टी के दिन रात में चंद्रोदय होने पर चांद की पूजा करने का बहुत अधिक महत्व है. संकष्टी चतुर्थी मंगलवार के दिन पड़ने के कारण इसे “अंगारकी चतुर्थी” भी कहा जाता है. पंचाग के अनुसार संकष्टी का व्रत हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के चौथे दिन आता है. शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी विनायक चतुर्थी के नाम से और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानी जाती है. आज हम आपको सावन मॉस में पड़ने जा रही अंगारकी संकष्टी चतुर्दशी व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में बताएँगे.
अंगारकी संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा शुभ मुहूर्त और तिथि Angaarki Savan Chaturthi Vrat 2018 Puja Shubh Muhurt
संकट चतुर्थी श्रावण कृष्ण पक्ष की 31 जुलाई मंगलवार के दिन मनाई जायेगी. चतुर्थी तिथि 31 जुलाई मंगलवार के दिन सुबह 8:44 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन1 अगस्त बुधवार के दिन सुबह 10:23 मिनट पर सम्पत हो जायेगी.
राशिअनुसार जाने साल 2018 का भविष्यफल
संकष्टी चतुर्थी का महत्व Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Importance
Savan Chaturthi Vrat 2018 पौराणिक कथाओं की माने तो प्राचीन काल से ही प्रत्येक पूजा से पहले गजानन की पूजा करने का विधान शास्त्रों के अनुसार गणेश जी को संकट हरने वाले भगवान् माना गया है कहा जाता है की जो भी भगवान् गणेश जी की पूजा अर्चना पूरे भक्ति भाव से करता है तो वह उस व्यक्ति की सभी परेशानियों को दूर कर उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते है अंगारकी चतुर्थी इतनी फलदायी और महत्वपूर्ण मानी गयी है की यह एक चतुर्थी व्रत पूरे साल भर आने वाली चतुर्थी व्रत के बराबर होता है. मंगल देव अर्थात अंगारक जिनके कठिन तप से प्रसन्न होकर गणेश जी ने उन्हें ये वरदान दिया कि जो चतुर्थी मंगलवार के दिन होगी उसे अंगारकी चतुर्थी के नाम से जाना जायेगा और इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी प्रकार के कष्ट दूर होंगे.
संकष्टी व्रत के लिए पूजन सामग्री और विधि Sankashthi Vrat Worship Date Time Tithi
संकष्टी व्रत या संकट चतुर्थी व्रत के दिन प्रातः काल उठकर अपने सभी दैनिक कार्यो से निवृत होकर स्नानादि के बाद गणेश जी की प्रतिमा के समक्ष बैठकर चतुर्थी व्रत का संकल्प लेना चाहिए. तत्पश्चात धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत, फूल, कलश, रोली, कपूर, दुर्वा, पंचमेवा आदि सभी पूजन सामग्रियों को पूजा स्थल पर रखकर पूजा स्थल में जल भरकर कलश स्थापित करे. कलश में साबूत हल्दी और दूर्वा डाल दे. इसके बाद हाथ में दूर्वा लेकर मन में श्री गणेश जी का ध्यान करे नैवेद्य या प्रसाद के रूप में गणेश जी को लड्डू अर्पित कर भोग लगाना चाहिए. चंद्रोदय होने के बाद चन्द्रमा की पूजा अवश्य करे और जल का अर्घ्य दे. अंत में गणेश चतुर्थी व्रत की कथा सुनकर ब्राह्मणो को दान दक्षिणा देना चाहिए. संकष्टी के व्रत में व्रत कथा सुनने का बहुत अधिक महत्व होता है.
व्रत का प्रभाव Effect of Angaarki Sankasthi Fast July Month
Savan Chaturthi Vrat 2018 शास्त्रों की माने तो गृहस्थ जीवन में कम से कम इस व्रत को एक बार तो अवश्य ही करना चाहिए यह व्रत जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है और व्यक्ति के सुख-सौभाग्य में वृद्धि करता है. संकट चतुर्थी का यह व्रत किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए भी किया जा जाता है श्री गणेश जी की कृपा से व्यक्ति को बुद्धि, ज्ञान और विवेक का वरदान प्राप्त होता है. इस व्रत को करने से नवग्रहों की शांति होती है और व्यक्ति को दीर्घायु के साथ साथ संतान प्राप्ति भी होती है.