नवरात्रि पांचवा दिन शुभ मुहूर्त Navratri Kalsh Sthapana Puja Vidhi
देवी स्कंदमाता का स्वरुप Goddess skandmata swaroop
देवी स्कंदमाता के स्वरूप की अगर बात करे तो पुराण में कहा गया है कि इनकी चार भुजाएं और ये सिंह पर सवार रहती हैं। माँ दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद को गोद में लिए हुए है,बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा में होती है. साथ ही माँ अपने हाथ में कमल लिए हुए है. माँ का ये स्वरुप कमल के आसन पर विराजमान रहता है. माँ का ये स्वरूप भक्तो को सुख प्रदान करता है.
चैत्र नवरात्री पांचवा दिन शुभ मुहूर्त 2021 Chaitra Navratri 2021 Muhurat
- साल 2021 में चैत्र नवरात्रि पांचवा या पंचमी नवरात्रि व्रत 17 अप्रैल शनिवार के दिन है.
- पंचमी तिथि प्रारम्भ होगी- 16 अप्रैल सायंकाल 06:05 मिनट पर |
- पंचमी तिथि समाप्त होगी- 17 अप्रैल सायंकाल 08:32 मिनट पर |
- पंचमी तिथि पूजा का शुभ मुहूर्त होगा- प्रातःकाल 10:42 मिनट से 12:48 मिनट तक|
पांचवा नवरात्र पूजन सामग्री और भोग Paachva navratra poojan saamagri aur bhog
नवरात्री के पांचवे दिन माँ की पूजा के लिए फल फूल, धुप दीप, नैवेद्य, रोली मौली अक्षत चन्दन माँ के प्रिय फूल आदि चीजे आप अपनी सामर्थ्य अनुसार रख ले. नवरात्रि के पांचवे दिन देवी माँ को मालपुए का नैवेद्य व भोग अर्पित करना चाहिए और फिर पूजा के बाद मालपुए ब्राह्मण को दान करना चाहिए ऐसा करने से माँ प्रसन्न होती है और भक्त के सभी प्रकार के विघ्न दूर हो जाते है। नवरात्रि के दिन माता को मालपुए का भोग जरूर लगाए मान्यता है कि इस एक काम और विधिवत माता रानी की आराधना करने से भक्तो को सभी प्रकार के दुःखो से आसानी के साथ छुटकारा मिलता है.
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माता स्कंदमाता पूजन विधि Maa skandmata poojaa vidhi
नवरात्रि के पांचवे दिन माता स्कंदमाता की विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए। माँ के इस रूप की पूजा का विधान भी ठीक उसी तरह का है जिस प्रकार उनके अन्य स्वरूपों की पूजा का है. पांचवे दिन देवी माँ की आराधना के लिए सबसे पहले स्नान करके हरे रंग के वस्त्र पहने. अब पूजास्थल पर स्थापित कलश, माता की प्रतिमा और अन्य सभी देवी देवताओं का आह्वाहन कर पूजा करे. अब हाथो में फूल लेकर माँ के पांचवे स्वरुप देवी स्कंदमाता की पूजा करे और साथ ही सच्चे मन से माँ का ध्यान करे. इस प्रकार विधिपूर्वक की गयी माँ की पूजा से साधक, भक्त व श्रधालुओं को माता स्कंदमाता सफलता व सुख प्रदान करती हैं और भक्तो के सभी प्रकार के कष्ट दूर कर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती है.