गुरु पूर्णिमा 2021 तिथि शुभ मुहूर्त Guru Purnima 2021 Date Time Muhurat 

गुरु पूर्णिमा 2021 Guru Purnima Puja Vidhi 

Guru Purnima 2021 Date Time Muhurat Guru Purnima 2021 Date Time Muhurat  हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता हैं। इस दिन भगवान सत्यनारायण और गुरु की पूजा का विशेष महत्व है. संसार में गुरु ही हैं जो इस संसार रूपी भव सागर को पार करने में हमारी सहायता करते हैं हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। पूरे भारत में गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार गुरु से मन्त्र प्राप्त करने के लिए भी यह दिन श्रेष्ठ माना जाता है. आज हम आपको साल 2021 में गुरु पूर्णिमा व्रत की सही तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसके महत्त्व के बारे में बताएँगे.

गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2021 Guru Purnima Muhurat 2021

  1. साल 2021 में गुरु पूर्णिमा 24 जुलाई शनिवार को है|
  2. पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी – 23 जुलाई प्रातःकाल 10:43 मिनट पर |
  3. पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी – 24 जुलाई प्रातःकाल 08:06 मिनट पर |

गुरु पूर्णिमा पूजा विधि Guru Purnima Vidhi

Guru Purnima 2021 Date Time Muhurat  गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का पूजा किया जाता है. गुरु पूर्णिमा के दिन सबसे पहले अपने दैनिक कार्यो से निवृत्त होकर प्रातःकाल स्नान आदि के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करे और उत्तर दिशा में व्यास जी की प्रतिमा स्थापित कर उसपर सुगन्धित फूल या माला अर्पित कर पूजा आरती करे प्रतिमा को मिठाई का भोग लगाएं | इसके बाद अपने गुरु को आसन पर विराजित कर पुष्पमाला पहनाये और उन्हें अपनी श्रद्धा अनुसार वस्त्र, फल, फूल व माला व उपहार स्वरूप कुछ न कुछ भेंट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करे. गुरु पूर्णिमा के दिन सफेद और पीले वस्त्र पहनकर पुष्प, अक्षत और चंदन से गुरु की पूजा करें।

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गुरु पूर्णिमा महत्व Guru Purnima Mahatva

Guru Purnima 2021 Date Time Muhurat   पौराणिक ग्रंथों के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा के साथ महाभारत के रचयिता व्यास जी का जन्मदिवस भी मनाया जाता है| संस्कृत के महान विद्वान होने के साथ ही उन्होंने महाभारत महाकाव्य की रचना भी की थी. वेदव्यास जी को आदिगुरु कहा जाता है इसलिए बहुत से लोग गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है| इस दिन अपने गुरुजनों की यथा संभव सेवा कर उनका आशीर्वाद पाने का बहुत अधिक महत्व है क्योकि ऐसा माना जाता है की गुरु के बिना एक शिष्य के जीवन का कोई अर्थ नहीं है.

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