कब है अप्रैल का पहला प्रदोष व्रत 2024 Chaitra Shukla Pradosh 2024 Date

चैत्र कृष्ण प्रदोष व्रत पूजा विधि 2024 Pradosh Vrat Poja Vidhi

Chaitra Shukla Pradosh 2024 Date प्रत्येक माह के दोनों पक्ष कृष्ण और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है. यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है. इस व्रत में भगवान शिव की आराधना प्रदोष काल यानि की शाम के समय करने की मान्यता है. साल 2024 में अप्रैल माह का पहला और चैत्र कृष्ण प्रदोष व्रत शनि प्रदोष है क्योकि यह शनिवार को पड़ रहा है. शनि प्रदोष के दिन भगवन शिव के साथ शनि देव की पूजा से हर मनोकामना पूरी होती है. आइये जानते है साल 2024 में चैत्र कृष्ण त्रयोदशी कब है, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, और इस दिन किये जाने वाले महाउपाय क्या है.

चैत्र कृष्ण प्रदोष शुभ मुहूर्त Pradosh Vrat April 2024 Date

  1. साल 2024 में चैत्र कृष्ण प्रदोष व्रत 6 अप्रैल शनिवार को रखा जाएगा|
  2. प्रदोष काल शिव पूजा का शुभ मुहूर्त – सायंकाल 06:42 मिनट से रात्रि 08:58 मिनट तक|
  3. चैत्र, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ होगी – 6 अप्रैल प्रातःकाल 10:19 मिनट पर|
  4. चैत्र, कृष्ण त्रयोदशी समाप्त होगी – 7 अप्रैल प्रातःकाल 06:53 मिनट पर|

प्रदोष पूजा विधि Pradosh Vrat Puja Vidhi

शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प ले. इस दिन विधिवत प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करे. प्रदोष काल में स्वच्छ होकर भगवान शिव का गंगाजल मिले जल या पंचामृत से अभिसेक करे. अब  उन्हें बेल पत्र, अक्षत, फल-फूल, धूप-दीप, चंदन, पान-सुपारी सभी पूजन सामग्री व खीर का भोग अर्पित करे. इसके बाद सोम प्रदोष व्रत कथा, शिव मंत्र और समस्त शिव परिवार की आरती कर पूजा संपन्न करे. यह शनि प्रदोष है इसीलिए शनिदेव को तेल अर्पित कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए.

इसे भी पढ़े – जानें अपना वार्षिक राशिफल 2024.

प्रदोष उपाय Ravi Pradosh Upay

  1. शास्त्रों के अनुसार शनि प्रदोष व्रत के दिन 21 बेलपत्र एक एक करके शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए.
  2. इस दिन शिवलिंग का पंचामृत से जलाभिषेक कर शिव चालीसा का पाठ करने से मनोकामना पूरी होती है.
  3. शनि प्रदोष व्रत के दिन शमी पत्र और काले तिल शिवलिंग पर अर्पित करें। इस उपाय को करने से शनि महादशा का प्रभाव कम हो जाता है
  4. इस दिन शिवलिंग के आगे देसी घी का दीपक जलाएं और वहां पर बैठकर रुद्राक्ष या चंदन की माला से ‘ॐ नमः शिवाय’ का 108 बार जप करें।
error: