गणेश चतुर्थी पूजा विधि Ganesh Chaturthi Vrat Pooja Vidhi
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी शुभ मुहूर्त 2023 Ganesh Chaturthi 2023
- भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था
- साल 2023 में भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी और गणेश उत्सव 19 सितम्बर मंगलवार से शुरू होगा|
- गणेश स्थापना व पूजा का शुभ समय – 19 सितंबर सुबह 11:07 मिनट से दोपहर 01:34 मिनट तक
- वर्जित चन्द्रदर्शन समय – सुबह 09:45 मिनट से रात्रि 08:44 मिनट|
- चतुर्थी तिथि प्रारम्भ होगी- 18 सितंबर दोपहर 12:39 मिनट |
- चतुर्थी तिथि समाप्त होगी – 19 सितंबर दोपहर 01:43 मिनट |
- गणेश विसर्जन 28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी को किया जाएगा|
गणेश चतुर्थी स्थापना विधि Ganesh Chaturthi Vrat Puja Vidhi
भाद्रपद चतुर्थी तिथि के दिन प्रात: काल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें. शास्त्रों के अनुसार गणपति बप्पा का जन्म दोपहर के समय हुआ था इसीलिए इस दिन गणेश जी का पूजन दोपहर में करने का विधान है. सबसे पहले पूजास्थल को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध कर ले. अब भगवान गणेश का आह्वान और मंत्रोच्चार करे. शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर लाल कपडा बिछाये और उसपर गणपति जी की प्रतिमा स्थापित करे.
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अब विधि विधान से उनका पूजन कर उन्हें धूप-दीप, सिंदूर, पुष्प और 21 दूर्वा अर्पित करे. इसके बाद उनके प्रिय मोदक और लड्डू का भोग लगाए. गणपति बप्पा को दूर्वा अर्पित करते समय “ॐ गणाधिपताय नमः” मंत्र का जाप करे. पूजा के बाद लड्डुओं का प्रसाद सभी में वितरित करे इसी तरह 10 दिनों तक सुबह-शाम बप्पा की आराधना कर चतुर्दशी तिथि को विधिपूर्वक विसर्जन करे और उनसे सुख समृद्धि की कामना करे.
गणेश चतुर्थी का महत्व Ganesh Chaturthi Importance
हिंदू धर्म में गणेश जी को प्रथम पूज्य देव माना गया है। किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुवात गणेशी जी की वंदना और पूजा से ही होती है। भगवान गणेश जी बल-बुद्धि, सुख-समृद्धि और विवेक का दाता है। कथाओ के अनुसार गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में दोपहर के समय हुआ था। अगर आप भी घर पर भगवान गणेश की स्थापना करना चाहते है तो चतुर्थी के दिन दोपहर के शुभ मुहूर्त में बाप्पा की स्थापना कर अगले 10 दिनों तक उनकी विधिवत पूजा करे और अनंत चतुर्दशी को विधि-विधान के साथ विसर्जन करे. इससे जीवन में आने वाली सभी तरह की बाधाएं और संकट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।