वट सावित्री व्रत 2021 शुभ मुहूर्त पूजा विधि Vat Savitri Vrat Puja Vidhi   

वट सावित्री ज्येष्ठ अमावस्या योग Vat Savitri Vrat Puja Vidhi

Vat Savitri Vrat Puja Vidhi Vat Savitri Vrat Puja Vidhi  – प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती मनाई जाती है वट सावित्री व्रत विशेष कर सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ख़ास होता है इस बार की ज्येष्ठ अमावस्या यानि की वट सावित्री व्रत के दिन साल का पहला सूर्यग्रहण लगने वाला है जिस कारण यह दिन और भी अधिक महत्वपूर्ण होगा क्योकि ग्रहण काल में पूजा पाठ के कार्य वर्जित माने जाते है इसीलिए बहुत से लोगो में इस खास दिन को लेकर असमंजस की स्तिथि बानी हुई है आज हम वट सावित्री व्रत की शुभ तिथि शुभ मुहूर्त और ग्रहण काल के दौरान किस तरह इस व्रत को किया जा सकता है इस बारे में बात करेंगे.

वट सावित्री व्रत तिथि शुभ मुहूर्त Vat Savitri Vrat Shubh Muhurat 2021

  1. साल 2021 में वट सावित्री का व्रत 10 जून गुरुवार के दिन रखा जाएगा|
  2. अमावस्या तिथि प्रारम्भ होगी – 09 जून दोपहर 01:57 मिनट पर|
  3. अमावस्या तिथि समाप्त होगी- 10 जून शाम 04:22 मिनट पर|
  4. इसी दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा.
  5. भारतीय समय अनुसार सूर्य ग्रहण दोपहर 01:42 मिनट पर शुरू होगा
  6. ग्रहण की समाप्ति शाम 06:41 मिनट पर होगी।
  7. वट सावित्री व्रत की पूजा का अभिजीत मुहूर्त होगा सुबह 11:59 मिनट से दोपहर 12:53 मिनट तक रहेगा|

ज्येष्ठ अमावस्या योग 2021 Jyestha Amavasya yog

ज्योतिष की माने तो इस साल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन साल का सबसे बड़ा सूर्यग्रहण लगेगा जो 10 जून दोपहर 01 बजकर 42 मिनट से शुरू होगा, और शाम 06 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा. 10 जून को भारत में आंशिक सूर्य ग्रहण होने के कारण मंदिरों के कपाट बंद नहीं होंगे ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. इसके आलावा इसी दिन सुहागन महिलाये अखंड सौभाग्य की कामना के साथ व्रत सावित्री व्रत भी रखेंगी.

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वट सावित्री व्रत पूजा विधि Vat Savitri Vrat Puja Vidhi

वट सावित्री व्रत के दिन प्रातःकाल जल्दी उठे और नित्य कर्मो से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करे. अब व्रत का संकल्प लेकर पूजा की तैयारी करे इस दिन विशेषकर वट वृक्ष की पूजा की परंपरा है। पूजा के लिए एक बांस की टोकरी में सात तरह के अनाज रख ले अब एक दूसरी बांस की टोकरी में देवी सावित्री की प्रतिमा रखे. इसके बाद वट वृक्ष पर जल चढ़ा कर कुमकुम, फल-फूल, मौली, चने की दाल, सूत, अक्षत, धूप-दीप, रोली आदि से वट वृक्ष की पूजा करें। अब सूत के धागे को वट वृक्ष के पांच, सात या बारह चक्कर लगाते हुए लपेटकर बांध ले. हर परिक्रमा पर एक चना वृक्ष में चढ़ाती जाती हैं। इसके बाद वट वृक्ष के नीचे या घर पर व्रत कथा सुनें या पढ़े और अखंड सुहाग की कामना करें.

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