वट सावित्री व्रत विधि Vat Savitri Vrat Vidhi
वट सावित्री व्रत तिथि शुभ मुहूर्त Vat Savitri Vrat Shubh Muhurat 2024
- साल 2024 में वट सावित्री व्रत 6 जून गुरुवार को रखा जाएगा|
- अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 5 जून सायंकाल 07:54 मिनट पर|
- अमावस्या तिथि समाप्त – 6 जून सायंकाल 06:07 मिनट पर|
- पूजा का अभिजीत मुहूर्त – प्रातःकाल 11:30 मिनट से दोपहर 12:25 मिनट|
- पूजा का लाभ-उन्न्नति मुहूर्त – दोपहर 12:20 मिनट से दोपहर 02:04 मिनट|
- पूजा का अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त – दोपहर 02:04 मिनट से दोपहर 03:49 मिनट|
वट सावित्री पूजा विधि Vat Savitri Vrat Puja Vidhi
वट सावित्री व्रत के दिन प्रातः स्नान के बाद पूजा की सभी सामग्री एकत्रित करे और पूजास्थल पर धूप-दीप जलाये. एक बांस की टोकरी में सात तरह के अनाज और दूसरी टोकरी में सावित्री सत्यवान की प्रतिमा रखे. सबसे पहले वट वृक्ष पर जल चढ़ाकर सभी सामग्री वट वृक्ष में अर्पित करे. इसके बाद सूत के धागे को वट वृक्ष के पांच, सात या बारह चक्कर लगाते हुए बांध ले. इसके बाद हाथ में काला चना लेकर व्रत कथा पढ़े या सुने. पूजा के बाद भीगे हुए चनों का बायना निकालकर सास को भेंट करे.
वट सावित्री व्रत का महत्व Vat Savitri Vrat Ka Mahatva
शास्त्रों के अनुसार वट सावित्री का व्रत रखने से पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है और वैवाहिक जीवन में मधुरता भी आती है. सुहागन महिलाये यदि वट सावित्री व्रत रखकर बरगद के वृक्ष की पूजा करे तो उन्हें अखंड सौभाग्य का फल मिलता है और उसके सभी कष्ट दूर होते हैं. वट वृक्ष में कई रोगों का नाश करने की क्षमता होती है। इसलिए इस दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है.
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क्यों की जाती है बरगद की पूजा Vat Savitri Vrat
हिंदू धर्म के अनुसार बरगद के वृक्ष को देव वृक्ष का स्थान प्राप्त है. ऐसा मानते हैं, कि बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश निवास करते हैं. तुलसीदास जी ने अपनी रचनाओं में वट वृक्ष को तीर्थराज का छत्र कहा है. यह वृक्ष न केवल पवित्र है, बल्कि दीर्घायु प्रदान करने वाला भी है. सावित्री ने भी वट वृक्ष के नीचे ही सत्यवान के प्राण लौटाए थे इसलिए इसके धार्मिक महत्व को ध्यान में रखकर इस वृक्ष की पूजा की जाती है.