रक्षाबंधन नियम Rakhi 2021 puja Vidhi Niyam
Raksha Bandhan Date Time 2021- पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है इसे राखी पूर्णिमा के नाम से भी जानते है। यह पर्व भाई बहिन के बीच प्रेम का पर्व है. इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की सुख समृद्धि के लिए उनकी कलाई पर रंग-बिरंगी राखियाँ बांधती हैं तो वहीं भाई बहनों की रक्षा और उनका साथ देने का वचन देते हैं आज हम आपको साल 2021 रक्षाबंधन पर्व की शुभ तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस खास दिन आपको कौन से कार्य नहीं करने चाहिए इस बारे में बताएँगे.
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त 2021 Raksha Bandhan 2021 Shubh Muhurat
- साल 2021 में रक्षाबंधन का पर्व 22 अगस्त रविवार के दिन मनाया जाएगा.
- पूर्णिमा तिथि शुरू होगी – 21 अगस्त शाम 07:00 बजे|
- पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी – 22 अगस्त शाम 05:31 मिनट पर|
- रक्षा बन्धन अनुष्ठान का समय होगा – 22 अगस्त सुबह 06:15 मिनट शाम 05:31 मिनट|
- रक्षा बन्धन अपराह्न मुहूर्त होगा – 22 अगस्त शाम 01:42 मिनट से रात्रि 04:18 मिनट तक|
- भद्रा काल समाप्ति का समय होगा- प्रातःकाल 06:15 मिनट पर|
रक्षाबंधन पूजा-विधि Raksha Bandhan Puja Vidhi
Raksha Bandhan Date Time 2021- इस बार रक्षाबंधन का पर्व 22 अगस्त दिन रविवार को पड़ रहा है। यह पर्व भाई बहनो के आपसी प्रेम और स्नेह को दर्शाता है. आज के दिन बहने भाईयों की कलाई पर रक्षा-सूत्र या राखी बांधती हैं और अपने भाई की दीर्घायु, समृद्धि व ख़ुशी जीवन की कामना करती हैं। इस दिन सुबह स्नान आदि से निवृत हो जाएं। फिर पूजा की थाल सजाएं जिसमें राखी के साथ रोली, चंदन, अक्षत, मिष्ठान और पुष्प रखें। अब इस थाली में घी का दीपक जलाएं और इस थाल को पूजा स्थान पर रख दें। सबसे पहले सभी देवी देवातओं का स्मरण कर धूप दीप जलाकर पूजा करें और फिर भाई की आरती कर उसकी दाहिनी कलाई में राखी बांधें। कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने के बाद मिठाई खिलाकर पूजा सम्पन्न करे. राखी बंधवाने के बाद भाई भी बहनो रक्षा का वचन और कुछ उपहार भेंट देते है.
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रक्षाबंधन मुहूर्त से जुड़े नियम Raksha Bandhan Muhurt rules
- शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है की रक्षाबंधन के दिन अशुभ प्रहरों में राखी नहीं बांधनी चाहिए.
- रक्षा बंधन के दिन भाइयो को राखी बांधते समय रक्षा सूत्र का पाठ करना बिलकुल ना भूले।
- रक्षा बंधन का त्यौहार सावन मास में उस दिन मनाया जाता है जिस दिन पूर्णिमा अपराह्ण काल में पड़े|
- यदि पूर्णिमा तिथि के समय अपराह्ण काल में भद्रा हो तो भद्राकाल में रक्षाबन्धन नहीं मनाना चाहिए और यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती तीन मुहूर्तों में हो, तो इस पर्व से जुड़े सभी विधि विधान अगले दिन के अपराह्ण काल में ही किये जाने चाहिए.
- यदि पूर्णिमा तिथि अगले दिन के शुरुआती 3 मुहूर्तों में न हो तो रक्षा बंधन पहले ही दिन भद्रा के बाद प्रदोष काल में मनाया जा सकता है भद्राकाल के समय रक्षाबंधन का पर्व मनाना निषेध माना जाता है.