लक्ष्मी पंचमी पूजा विधि Lakshmi Panchami Puja vidhi Upay
लक्ष्मी पंचमी व्रत हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को रखा जाता है इसे श्री पंचमी या लक्ष्मी पंचमी के नाम से जानते है. मान्यता है की यदि इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की जाय तो मनोवांछित फलो की प्राप्ति होती है. लक्ष्मी पंचमी इसलिए भी खास मानी जाती है क्योंकि यह व्रत चैत्र नवरात्रि के पाचंवे दिन पड़ता है नवरात्रो की यह तिथि बेहद ख़ास मानी गयी है शास्त्रों में देवी लक्ष्मी के स्वरूप को अत्यंत सुंदर प्रभावशाली और दरिद्रता दूर करने वाला बताया गया है. आज हम आपको साल 2020 चैत्र माह लक्ष्मी पंचमी व्रत की शुभ तिथि पूजा का शुभ मुहूर्त पूजा विधि और सुख साम्रीधि के लिए व माता लक्ष्मी को प्रसन्न किये जाने वाले ख़ास उपाय के बारे में बताएँगे.
लक्ष्मी पंचमी 2020 तिथि व शुभ मुहूर्त Lakshami Panchami 2020
- साल 2020 में लक्ष्मी पंचमी का व्रत 29 मार्च रविवार के दिन रखा जाएगा|
- पञ्चमी तिथि प्रारम्भ होगी – 29 मार्च रविवार 12 बजकर 17 मिनट से |
- पञ्चमी तिथि समाप्त होगी – 30 मार्च सोमवार रात 2 बजकर 01 मिनट पर |
लक्ष्मी पंचमी का महत्व Lakshami Panchami Importance
शास्त्रों में माता लक्ष्मी को धन, वैभव और सुख समृद्धि प्रदान करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है जिन्हे विष्णुप्रिया भी कहते है प्राचीन मान्यता के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां लक्ष्मी जी की पूजा कर उपवास भी रखा जाता है। इसीलिए इसे लक्ष्मी पंचमी भी कहते है. घर में सुख समृद्धि व धन प्राप्ति की कामना के लिए मां लक्ष्मी की उपासना का यह पर्व बहुत ही प्रभावशाली मना जाता है कहते है की इस दिन जो लोग मां लक्ष्मी का विधि विधान से पूजन व्रत व कुछ उपाय करते है तो उसके जीवन से सभी संकटो का निवारण हो जाता है. वही जो महिलाये यह व्रत करती है उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है.
लक्ष्मी पंचमी पूजा विधि Lakshami Panchami puja vidhi
लक्ष्मी पंचमी के दिन व्रत करने वालो को चतुर्थी की रात में भोजन में दही और चावल का प्रयोग करना चाहिए. इसके बाद लक्ष्मी पंचमी के दिन प्रातःकाल स्नान के बाद लाल वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प करते हुए पूजास्थल पर एक चौकी में गंगाजल छिड़कर उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछा ले और इस कलश पर श्री लक्ष्मी माँ की प्रतिमा व कलश की स्थापना कर ले माता की प्रतिमा यदि कमल के फूल पर बैठी हुई हो तो ये अति शुभ होता है. इसके बाद मां लक्ष्मी को अनाज, हल्दी, गुड़ अर्पित करते हुए माता का पसंदीदा पुष्प कमल अर्पित करें। इसके बाद विधिवत पूजा करते हुए श्री लक्ष्मी मंत्र का जाप करे। आज के दिन श्री सूक्त पाठ करना भी लाभकारी माना जाता है। अंत में मां लक्ष्मी की आरती कर उन्हें खीर का भोग लगाएं और उस खीर को प्रसाद के रूप में भी बाटें।
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मां लक्ष्मी पंचमी व्रत कथा Lakshami Panchami 2020 vrat katha
प्राचीन कथा के अनुसार एक बार मां लक्ष्मी देवताओं से नाराज हो गईं और श्री सागर में जा मिलीं। मां लक्ष्मी के चले जाने से देवता श्री विहीन हो गए तब देवराज इंद्र द्वारा मां को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप और उपवास किया गया उन्हें देखते हुए अन्य देवी देवताओं ने भी मां लक्ष्मी का उपवास रखा इस तरह देव व असुरो ने भी मां लक्ष्मी की उपासना प्रारंभ कर दी। जिसके बाद मां लक्ष्मी ने अपने भक्तों की पुकार सुनी और पुन: उत्पन्न हो गयी कहा जाता है की इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु से उनका विवाह हुआ और देवता फिर से श्री की कृपा पाकर धन्य हुए। जिस दिन यह हुआ वह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि ही थी। इसी कारण इस तिथि को लक्ष्मी पंचमी व्रत के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन मां लक्ष्मी की अराधना करने से घर परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है। देवी लक्ष्मी की पूजा से दरिद्रता दूर होने की मान्यता है। जानिए लक्ष्मी पंचमी व्रत की महिमा और पूजा विधि. लक्ष्मी पंचमी व्रत कथा: पौराणिक ग्रंथों में जो कथा मिलती है उसके अनुसार मां लक्ष्मी एक बार देवताओं से रूठ गई और क्षीर सागर में जा मिली। मां लक्ष्मी के चले जाने से देवता मां लक्ष्मी यानि श्री विहीन हो गये। तब देवराज इंद्र ने मां लक्ष्मी को पुन: प्रसन्न करने के लिये कठोर तपस्या कि व विशेष विधि विधान से उपवास रखा। उनका अनुसरण करते हुए अन्य देवताओं ने भी मां लक्ष्मी का उपवास रखा, देवताओं की तरह असुरों ने भी मां लक्ष्मी की उपासना की। अपने भक्तों की पुकार मां ने सुनी और वे व्रत समाप्ति के पश्चात पुन: उत्पन्न हुई जिसके पश्चात भगवान श्री विष्णु से उनका विवाह हुआ और देवता फिर से श्री की कृपा पाकर धन्य हुए। मान्यता है कि यह तिथि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी। यही कारण था कि इस तिथि को लक्ष्मी पंचमी के व्रत के रूप में मनाया जाने लगा। श्री लक्ष्मी पूजा विधि: लक्ष्मी पंचमी व्रत रखने वालों को इस दिन प्रात:काल में स्नान आदि कार्यो से निवृत होकर, व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा भगवान विष्णु के साथ की जाती है। इस दिन श्री लक्ष्मी को पंचामृत से स्नान कराया जाता है। पूजा सामग्री में अनाज, हल्दी, गुड़, अदरक आदि का उपयोग जरूर करें। सामर्थ्यनुसार कमल के फूल, घी, बेल के टुकड़े इत्यादि चीजों से हवन करवाना चाहिए। इसके बाद व्रत रखने वाले लोग ब्रह्माणों को भोजन कराते हैं और दान- दक्षिणा देते हैं। इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। केवल फल, दूध, मिठाई का सेवन किया जा सकता है।”