जीवित्पुत्रिका पूजा विधि Jivitputrika vrat 2024 Puja Vidhi
जीवित्पुत्रिका व्रत शुभ मुहूर्त 2024 Jivitputrika Puja Date Timing
- साल 2024 में जीवित्पुत्रिका व्रत 25 सितम्बर बुधवार को रखा जाएगा.
- अष्टमी तिथि शुरू होगी – 24 सितम्बर दोपहर 12:38 मिनट पर|
- अष्टमी तिथि समाप्त होगी – 25 सितम्बर दोपहर 12:10 मिनट पर|
- यह पर्व तीन दिनों का होता है जो की 24 सितंबर से 26 सितंबर तक मनाया जाएगा|
- 24 सितंबर मंगलवार को नहाय खाय 25 को निर्जल व्रत और 26 को पारण किया जायेगा|
जितिया व्रत का पारण का समय Jivitputrika vrat ka paaran
साल 2024 में जितिया व्रत का पारण 26 सितंबर को किया जायेगा. व्रत के पारण का समय होगा 26 सितम्बर प्रातःकाल 04:35 मिनट के बाद|| पारण जीवित्पुत्रिका व्रत का अंतिम दिन होता हैं. इस व्रत निर्जला किया जाता है. व्रत का पारण नवमी तिथि की सुबह ही होता है, पारण के दिन चावल, मरुवा की रोटी और नोनी का साग ही खाने का विधान है। जिउतिया व्रत का पारण सूर्योदय से लेकर दोपहर तक किया जा सकता है.
जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि Jivitputrika vrat Pujan Vidhi
जितिया व्रत में जीमूत वाहन देव की पूजा होती है. व्रत के दिन नित्यकर्म व स्नान के बाद साफ़ वस्त्र धारण कर पूजा स्थल में सूर्य नारायण और कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा स्थापित करे. प्रतिमा को स्नान कराकर धूप, दीप जलाये और पेड़ा, दूब, चावल, 16 गांठ का धागा, इलाईची, पान-सुपारी और बांस के पत्ते चढ़ाकर मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद व्रत कथा पढ़कर आरती करें. साथ ही मिट्टी व गाय के गोबर से बानी चील और सियारिन की प्रतिमा की भी पूजा करे. सप्तमी यानी नहाए खाए को सूर्यास्त से पहले खाना और जल ग्रहण कर व्रत की शुरुआत कर अष्टमी को पूरे दिन निर्जला व्रत रखनाचाहिये और नवमी को व्रत के पारण के साथ व्रत का समापन करना चाहिए.
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जितिया व्रत के नियम Jitiya Ke Niyam
- शास्त्रों के अनुसार व्रत करने वाले को एक दिन पहले तामसिक चीजों का त्याग कर देना चाहिए.
- व्रत के दौरान संयमित रहते हुए व्रत करना चाहिए.
- नहाय खाय के दिन मरुआ खाने की परंपरा है.
- व्रत के पहले दिन नहाए खाए को सूर्यास्त के बाद कुछ भी नहीं खाया जाता है.
- धार्मिक मन्यताओं के अनुसार जितिया व्रत के तीसरे पूजा -पाठ के बाद ही इसका पारण किया जाता है.
- व्रत का पारण नवमी के दिन सूर्यास्त के पहले कर लेना चाहिए.
- जितिया के दिन व्रत कथा सुनाने से व्रत का पुण्यफल प्राप्त होता है.