बुद्ध पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2023 Buddha Poornima Puja Vidhi 2023
Buddha Poornima 2023 शास्त्रों के अनुसार वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है। ग्रन्थों के अनुसार इसी दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ माना गया है। ज्योतिष अनुसार, इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. मान्यता है कि इस दिन किया गया दान पुण्य शुभ फल प्रदान करता है. वैसाख मास की पूर्णिमा के दिन व्रत उपवास कर भगवान विष्णु, माँ लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा से मनोकामना पूरी होती है. आइये जानते है साल 2023 में बुद्ध पूर्णिमा कब है, दिन व तारीख, महत्व, पूजा मुहूर्त, और इसकी पूजा विधि क्या है.
बुद्ध पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2023 Vaishakh Buddha Poornima 2023 Shubh Muhurat
- साल 2023 में वैसाख बुद्ध पूर्णिमा 5 मई शुक्रवार को मनाई जाएगी
- पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ होगी – 4 मई रात्रि 11:44 मिनट पर
- पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी – 5 मई रात्रि 11:03 मिनट पर
- इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है|
- सत्यनारायण पूजा का शुभ मुहूर्त – सुबह 07:18 मिनट से सुबह 08:58 मिनट
- चन्द्रमा को अर्घ्य देने का समय – शाम 06.45 मिनट
- लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त – 05 मई रात 11:56 मिनट से 06 मई प्रात: 12:39 मिनट
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व Buddh Purnima Mahatv
शास्त्रों के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व बताया गया है. यह दिन सनातन और बौद्ध धर्म के लोगो के लिए बेहद ख़ास माना जाता है. इस दिन चन्द्रमा अपनी 16 कलाओं ये युक्त होता है ऐसे में पूर्णिमा की रात चंद्रदर्शन करना बहुत ही शुभ होता है. इस दिन भगवान् विष्णु और गौतम बुद्ध की पूजा फलदायी मानी जाती है। मान्यता है कि इसी दिन बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे भगवान गौतम बुद्ध को आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई थी. भगवान बुद्ध को मानने वाले अनुयायियों के लिए यह दिन त्योहार जैसा होता है. इस दिन कूर्म जयंती भी मनाई जाती है.
बुद्ध पूर्णिमा पूजा विधि Vaishakh Purnima puja vidhi
शास्त्रों की माने तो पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है इस दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी अन्यथा घर पर ही गंगाजल मिले जल से स्नान करें और सूर्य देव को जल का अर्घ्य दे. इसके बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान् विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत से अभिषेक कराये. अब उन्हें धूप दीप व तुलसी पत्र अर्पित करे. खीर का भोग लगाए और वैसाख पूर्णिमा की व्रत कथा पढ़े. अंत में आरती कर रात्रि में चंद्रपूजन करे.