दुर्गा सप्तशती जानें जरूरी नियम Durga Saptshati Path Kaise kare
शापोद्धार के बिना अधूरा है दुर्गा सप्तशती पाठ Durga Saptshati Path
शास्त्रों के अनुसार दुर्गा सप्तशती के पाठ में कवच, अर्गला और कीलक स्तोत्र से पहले शापोद्धार का पाठ करना जरूरी बताया गया है. दुर्गा सप्तशती के सभी मंत्र ब्रह्मा, वशिष्ठ और विश्वामित्र ऋषि द्वारा शापित हैं. यही कारण है कि शापोद्धार पाठ के बिना दुर्गा सप्तशती के पाठ का पूर्ण फल नहीं मिलता है.
कैसे करें दुर्गा सप्तशती पाठ Durga Saptshati Path
शास्त्रों की माने तो अगर दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण पाठ एक दिन में करना संभव ना हो तो पहले दिन सिर्फ मध्यम चरित्र का पाठ कर सकते हैं. वहीं दूसरे दिन बचे हुए चरित्रों का पाठ करना चाहिए. इसके अलावा एक अन्य विकल्प यह भी है कि पहले दिन पहले अध्याय का पाठ, दूसरे दिन दूसरे अध्याय का 2 आवृत्ति पाठ, तीसरे दिन चतुर्थ अध्याय का एक आवृत्ति पाठ, चौथे दिन 5वें, छठे, 7वें, और 8वें अध्याय का पाठ, पांचवें दिन 9वें और 10 वें अध्याय का पाठ, छठे दिन 11वें अध्याय का पाठ, और 7वें दिन 12वें और 13वें अध्याय का पाठ कर सकते हैं. इस तरह से 7 दिन में दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण पाठ कर सकते हैं. दुर्गा सप्तशती के पाठ में नवार्ण मंत्र का भी खास महत्व है. पाठ शुरू करने से पहले और बाद में “ओम् ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे” मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए.
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दुर्गा सप्तशती पाठ के अन्य नियम Durga Saptshati Path
- दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले आसन पर बैठते समय शुद्धिकरण करें, उसके बाद ही पाठ शुरू करें.
- दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रारम्भ करने से पहले पुस्तक को नमस्कार कर ध्यान करें. इसके बाद माता का ध्यान करके पाठ आरंभ करें.
- शास्त्रों के अनुसार दुर्गा सप्तशती का पाठ हाथ में पुस्तक लेकर करना उपयुक्त नहीं माना गया है. इससे पाठ का पूर्ण फल नहीं मिल पता| ऐसे में पुस्तक को व्यासपीठ या लाल कपड़े के ऊपर रखकर ही पाठ करना चाहिए.
- दुर्गा सप्तशती पाठ के बीच में उठना नहीं चाहिए और ना ही पाठ के बीच में रुके.
- अगर आप संपूर्ण पाठ करते हैं तो चतुर्थ अध्याय पूरा होने के बाद विराम ले सकते हैं.
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय पाठ की गति ना तो बहुत अधिक तेज हो और ना ही बहुत धीमी होनी चाहिए.
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय शब्दों का उच्चारण स्पष्ट और सुमधुर होना चाहिए.
- पाठ करते समय बैठे के लिए आसन कुश या लाल रंग के कंबल का होना अच्छा माना गया है