चैत्र शुक्ल प्रदोष व्रत पूजा विधि 2023 Pradosh Vrat Puja Vidhi
चैत्र शुक्ल प्रदोष शुभ मुहूर्त Pradosh Vrat April 2023 Date
- साल 2023 में चैत्र शुक्ल प्रदोष व्रत 3, अप्रैल सोमवार को रखा जाएगा|
- प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त होगा – सायंकाल 06:40 मिनट से रात्रि 08:58 मिनट तक|
- चैत्र, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ होगी – 3 अप्रैल प्रातःकाल 06:24 मिनट पर|
- चैत्र, शुक्ल त्रयोदशी समाप्त होगी – 4 अप्रैल प्रातःकाल 08:05 मिनट पर|
प्रदोष पूजा विधि Pradosh Vrat Puja Vidhi
शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प ले. यह सोम प्रदोष है ऐसे में इस दिन सबसे पहले सूर्य देव को एक लोटा जल अर्पित कर विधिवत भगवान शिव की पूजा करे. अब प्रदोष काल यानि शाम के समय पुनः स्वच्छ होकर भगवान शिव का गंगाजल मिले जल या पंचामृत से अभिसेक करे. अब उन्हें बेल पत्र, अक्षत, फल-फूल, धूप-दीप, चंदन, पान-सुपारी सभी पूजन सामग्री व खीर का भोग अर्पित करे. इसके बाद सोम प्रदोष व्रत कथा, शिव मंत्र और समस्त शिव परिवार की आरती कर पूजा संपन्न करे.
प्रदोष व्रत के नियम Pradosh Vrat ke Niyam
- प्रत्येक व्रत की तरह ही प्रदोष व्रत के भी कुछ नियम है जिनका पालन करने पर जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.
- प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय काले वस्त्र पहनने से बचना चाहिए.
- इस दिन किसी का भी अनादर न करें.
- शिव पूजा के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.
- प्रदोष व्रत के दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.
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सोम प्रदोष व्रत उपाय Ravi Pradosh Upay
- सोम प्रदोष के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्न्नान कराएं इसके बाद शुद्ध जल से स्न्नान कराकर चन्दन, मौली, चावल, धूप-दीप से पूजन करें।
- दांपत्य जीवन से सम्बंधित समस्याएं दूर करने के लिए सोम प्रदोष व्रत के दिन गुलाब के 27 लाल फूल 27 बार ‘ऊं नम: शिवाय’ का जाप करते हुए शिव जी को अर्पित करें।
- सोम प्रदोष के दिन प्रदोष काल में किसी शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव को एक तांबे के कलश में जल लेकर उसमें थोड़ा सा लाल चंदन डालकर अर्पित करें। साथ ही ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करें। इससे आर्थिक लाभ होता है.
- प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में आंवला मिश्रित जल से शिवजी का अभिषेक करने पर समस्त रोगो का नाश होता है.
- इस दिन शिवलिंग के आगे देसी घी का दीपक जलाएं और वहां पर बैठकर रुद्राक्ष या चंदन की माला से ‘ॐ नमः शिवाय’ का 108 बार जप करें।