भाद्रपद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2025 Bhadrapad Purnima Muhurat 2025
Bhadrapad Purnima Vrat 2025 Dateपंचांग के अनुसार भाद्रपद के महीने में आने वाली पूर्णिमा भाद्रपद या भादो पूर्णिमा होती है. पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी, सत्यनारायण भगवान और चंद्रदेव की पूजा का विधान है. पूर्णिमा के दिन संगम तट पर स्नान-दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस साल भादो पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का साया भी है ये ग्रहण भारत में भी लगेगा ऐसे में आइये जानते है साल 2025 में भाद्रपद मास की पूर्णिमा का व्रत कब है, सत्यनारायण पूजा व पूर्णिमा स्नान-दान का शुभ समय, पूर्णिमा तिथि कब से कब तक रहेगी, चंद्रोदय समय और इस दिन की जाने वाली पूजा विधि क्या है|
भाद्रपद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2025 Bhadrapad Purnima 2025 Shubh Muhurat
- साल 2025 में भाद्रपद पूर्णिमा 7 सितम्बर रविवार|
- पूर्णिमा का व्रत और स्नान दान भी 7 सितम्बर को ही किया जायेगा|
- अभिजित मुहूर्त – प्रातःकाल 11:54 मिनट से दोपहर 12:44 मिनट|
- स्नान दान का समय – प्रातःकाल 04:31 मिनट से प्रातःकाल 05:16 मिनट|
- चंद्रग्रहण का समय – 7 सितंबर की रात्रि 09:58 मिनट से रात्रि 01:26 मिनट
पूर्णिमा तिथि कब से कब तक है Bhadrapad Purnima Kab Se Kab Tak 2025
- साल 2025 में भाद्रपद पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 7 सितम्बर प्रातःकाल 01:41 मिनट पर होगा
- पूर्णिमा तिथि का समापन 7 सितम्बर रात्रि 11:38 मिनट पर होगा|
भाद्रपद पूर्णिमा चंद्रोदय का समय Bhadrapad Purnima Moon Rise Time 2025
शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा के दिन जितना महत्व स्नान, दान और व्रत का होता है. उतना ही अधिक महत्व रात्रि में चंद्रपूजा का भी होता है साल 2025 में भाद्रपद मास की पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय समय होगा सायंकाल 06:26 मिनट |
भाद्रपद पूर्णिमा पूजा विधि Bhadrapad Purnima Puja Vidhi
शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर सूर्य भगवान को अर्घ्य देना चाहिए. इसे बाद व्रत का संकल्प लेकर पूजास्थल में घी का दीपक जलाकर सत्यनारायण भगवान और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करनी चाहिए. भगवान विष्णु को पंचामृत से अभिषेक कराकर हल्दी या चन्दन का तिलक करे. भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को फल-फूल, तिल, अक्षत, और तुलसी दल डालकर खीर का नैवेद्य अर्पित करे. इस दिन लग रहे ग्रहण का सूतक दोपहर 12:57 मिनट से शुरू हो जाएगा जो ग्रहण समाप्ति तक रहेगा। ऐसे में सूतक लगने से पहले पूजा-पाठ और श्राद्ध व तर्पण का कार्य कर लेना चाहिए