18 September 2021 Pradosh Vrat शनिवार प्रदोष व्रत 2021 कब है

प्रदोष व्रत पूजा विधि 2021 Pradosh Vrat Poja Vidhi

18 September 2021 Pradosh Vrat 18 September 2021 Pradosh Vrat  शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक माह के दोनों पक्षों शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है इस दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है शिव पुराण के अनुसार इस व्रत में भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल यानि की शाम के समय करने का विधान है साल 2021 में भाद्रपद शुक्ल प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ने के कारण यह शनि प्रदोष होगा. प्रदोष व्रत पर शनिवार का विशेष संयोग होता है इस दिन भगवान शिव के साथ शनिदेव की आराधना से कष्टों से मुक्ति मिलती है आज हम आपको साल 2021 भाद्रपद माह के शुक्ल प्रदोष व्रत की शुभ तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, शिव पंचाक्षरी मंत्र और शनि प्रदोष के दिन किये जाने वाले महाउपाय के बारे में बताएँगे.

शनि प्रदोष व्रत तिथि शुभ मुहूर्त Pradosh Vrat September Month Date

  1. साल 2021 भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी का व्रत 18 सितम्बर शनिवार के दिन रखा जाएगा.
  2. प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त होगा -18 सितम्बर शनिवार सायंकाल 06:23 मिनट से लेकर 08:44 मिनट तक|
  3. भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी तिथि आरम्भ होगी – 18 सितम्बर शनिवार प्रातःकाल 06:54 मिनट पर |
  4. भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी समाप्त होगी – 19 सितम्बर प्रातःकाल 05:59 मिनट पर |

शनि प्रदोष पूजा विधि Pradosh Vrat Puja Vidhi

18 September 2021 Pradosh Vrat  शनि प्रदोष के दिन प्रातः स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान शंकर, माता पार्वती, को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर सभी पूजन सामग्री जैसे  बेल पत्र, अक्षत, फल-फूल, धूप, दीप, नैवेद्य पान, सुपारी, लौंग व इलायची आदि चीजे अर्पित करे. प्रदोष काल अर्थात शाम के समय भगवान शिव को पुनः पंचामृत से स्नान कराकर सभी पूजन सामग्री व बिल्वपत्र अवश्य अर्पित करे दीपक जलाकर गं गणपतये नमः और शिव पंचाक्षरी मन्त्र नमः शिवाय का 108 बार जाप करें। शनि प्रदोष के दिन शनि महाराज की पूजा कर उन्हें काले तिल, काला वस्त्र, तेल, उड़द उनकी प्रिय चीजे चढ़ाना बहुत ही शुभ होता है.

प्रदोष व्रत उद्यापन विधि Pradosh Vrat Udhyapan Vidhi

18 September 2021 Pradosh Vrat  शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत का उद्यापन पूरे विधि विधान से अवश्य करना चाहिए इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है प्रदोष व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि के दिन ही करना शुभ होता है. उद्यापन से पहले श्री गणेश जी की पूजा करे त्रयोदशी के दिन प्रातःकाल स्नान के बाद ऊँ उमा सहित शिवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप कर हवन कर ले.  हवन पूरा होने के बाद भगवान शिव की आरती और शान्ति पाठ करे. इसके बाद ब्रह्माण को भोजन कराकर उद्यापन की विधि पूरी करे.

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शनि प्रदोष महाउपाय Pradosh Vrat Mahaupay

प्रदोष व्रत भगवन शिव माता गौरी को प्रसन्न करने के लिए सबसे उत्तम दिन माना गया है. वही अगर यह शनि प्रदोष हो तो शनि प्रदोष व्रत शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या का प्रभाव खत्म करने के लिए सबसे उत्तम होता है. इस दिन न्याय के देवता शनि देव की आराधना से वे जल्दी प्रसन्न होते है इस दिन भगवन शिव के साथ शनि देव का पूजन व उपाय करने से व्यक्ति का भाग्य चमक जाता है तो आइये जानते है शनि प्रदोष के दिन किये जाने वाले उपाय क्या है.

  1. शनि की साढ़े साती या शनि ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए शनि त्रयोदशी के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इस दौरान शनिदेव के मंत्र -“ॐ शं शनैश्चराय नम:”का 108 बार जाप करें.
  2. शनि प्रदोष के दिन संभव हो तो कम से कम एक माला शनि मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे व्यक्ति को शनि देव की कृपा प्राप्त होती है.
  3. विवाह संबंधी समस्या को दूर करने के लिए शनि त्रयोदशी के दिन शिवलिंग पर 11 फूल और 11 बेलपत्र अर्पित करें इससे आपको लाभ मिलता है.
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