Hariyali Teej 2018 Worship Date Time Muhurt सावन तीज तिथि पूजन विधि महत्व
हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है Why Hariyali Teej Festival Celebrate
यह त्यौहार खासतौर पर सुहागिन महिलाओं में बेहद लोकप्रिय है. कहा जाता है की आज के दिन ही माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति रूप में प्राप्त करने के लिए 108 सालों तक कठिन तपस्या कर शिवजी को प्रसन्ना किया था और शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया. पुराणों और कथाओं के अनुसार इसी कारण यह त्यौहार माता पार्वती और भगवान् भोलेनाथ को समर्पित है.
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हरियाली तीज शुभ मुहूर्त और तिथि Hariyaali Teej festival Shubh Muhurt
साल 2018 में हरियाली तीज Hariyali Teej Festival 13 अगस्त सोमवार के दिन मनाई जायेगी तीज पर्व का शुभ मुहूर्त सोमवार के दिन सुबह 8 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगा और हरियाली तीज तिथि 14 अगस्त मंगलवार सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी.
सालभर में तीज कब-कब मनाते है When Celebrate Hariyaali Teej
शास्त्रों की माने तो साल में तीज चार बार आती है
- अखा तीज– जिसे अक्षय तृतीया तीज के नाम से भी जाना जाता है.
- हरियाली तीज– जो की सावन माह शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाई जाती है.
- कजरी तीज– भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाई जाने वाली तीज कजरी तीज कहलाती है.
- हरतालिका तीज- हरितालिका तीज भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन आती है. इस तरह पूरे साल में 4 बार तीज पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
हरियाली तीज का महत्व Importance of Hariyaali Teej Parv 2018
शास्त्रों में हरियाली तीज का बहुत अधिक महत्व बताया गया है इसे छोटी तीज या श्रावण तीज भी कहते है. यह तीज सावन माह में पड़ने के कारण बेहद ही महत्वपूर्ण है. यह त्योहार पति के प्रति पत्नी के समर्पण भाव का प्रतीक होती है. कहते है की इस दिन माता पार्वती और शिवजी की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
हरियाली तीज पूजा विधि Hariyaali Teej Pujan Vidhi Samagri Tips
हरियाली तीज के दिन प्रातः काल उठकर स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. घर के मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती के साथ गणेश जी की मूर्ति बनाकर तिलक कर फल-फूल अर्पित करें. इस दिन माता पार्वती को सुहाग की सामग्री अवस्य अर्पित करनी चाहिए. तीज के दिन भगवान शिव को बेल पत्र चढाने चाहिए अगले दिन माता पार्वती को सिंदूर अर्पित कर भोग लगाना चाहिए और प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत का पारण करना बहुत ही शुभ माना गया है.