साईंबाबा जी के चमत्कारी 108 नाम व उनके अर्थ Names of Sai Baba
- साईंनाथ – प्रभु साई
2 . लक्ष्मी नारायण – लक्ष्मी नारायण के चमत्कारी शक्ति वाले
3.कृष्णमशिवमारूतयादिरूप – भगवान कृष्ण, शिव, राम तथा अं जनेय का स्वरूप
4. शेषशायिने – आदि शेष पर सोने वाला
5. गोदावीरतटीशीलाधीवासी – गोदावरी के तट पर रहने वाले (सिरडी)
6. भक्तह्रदालय – भक्तों के दिल में वास करने वाले
7. सर्वह्रन्निलय – सबके मन में रहने वाले
8. भूतावासा – सभी प्राणियों में रहने वाले
9. भूतभविष्यदुभवाज्रित – भूत, भविष्य व वर्तमान का ज्ञान देने वाले
10. कालातीताय – समय से परे
11. काल – समय
12. कालकाल – मृत्यु के देवता का हत्यारा
13. कालदर्पदमन – मृत्यु का भय दूर करने वाले
14. मृत्युंजय – मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले
15. अमत्य्र – श्रेष्ठ मानव
16. मर्त्याभयप्रद – मनुष्य को मुक्ति देने वाले
17. जिवाधारा – जीवन का समर्थन करने वाले
18. सर्वाधारा – समस्त क्रिया का समर्थन करने वाले
19. भक्तावनसमर्थ – पूजनीय
20. भक्तावनप्रतिज्ञाय – अपने भक्तों की रक्षा का वचन निभाने वाले
21. अन्नवसत्रदाय – वस्त्र व अन्न देने वाले
22. आरोग्यक्षेमदाय – स्वास्थ्य और आराम देने वाले
23. धनमाङ्गल्यप्रदाय – भलाई और स्वास्थ्य का अनुदान करने वाले
24. ऋद्धिसिद्धिदाय – बुद्धि और शक्ति देने वाले
25. पुत्रमित्रकलत्रबन्धुदाय – पुत्र, मित्र आदि का सुख देने वाले
26. योगक्षेमवहाय – मानुष्य की रक्षा करने वाले
27. आपदबान्धवाय – समस्या के समय भक्तों के साथ रहने वाले
28. मार्गबन्धवे – जीवन का मार्ग- दर्शन करने वाले
29. भक्तिमुक्तिस्वर्गापवर्गदाय – धन, अनन्त परमानंद और अनन्त राज्य (स्वर्ग) देने वाले
30. प्रिय – भक्तों के प्रिय
31. प्रीतिवर्द्धनाय – भगवान के प्रति भक्ति बढ़ाने वाले
32. अन्तर्यामी – पवित्र आत्मा
33. सच्चिदात्मने – ईश्वरीय सत्य
34. नित्यानन्द – हमेशा शाश्वत आनंद में डूबे रहने वाले
35. परमसुखदाय – असीम सुख
36. परमेश्वर – प्रमुख देव
37. परब्रह्म – परम ब्रह्म
38. परमात्मा – दिव्य आत्मा
39. ज्ञानस्वरूपी – बुद्धिमान व्यक्ति
40. जगतपिता – ब्रह्मांड के पिता
41. भक्तानां मातृ दातृ पितामहाय – सभी भक्तों के लिए
42. भक्ताभयप्रदाय – सभी भक्तों को शरण में लेने वाले
43. भक्तपराधीनाय – अपने भक्तों का सारंक्षण करने वाले
44. भक्तानुग्रहकातराय – अपने भक्तों को आशीर्वाद देने वाले
45. शरणागतवत्सलाय – भक्तों को शरण में लेने वाले
46. भक्तिशक्तिप्रदाय – अपने भक्तों को ताकत देने वाले
47. ज्ञानवैराग्यप्रदाय – बुद्धि और त्याग करने वाले
48. प्रेमप्रदाय – अपने सभी भक्तों पर प्रेम की नि – स्वार्थ वर्षा
49. संशयह्रदय दौर्बल्यपापकर्म वासनाक्षयकराय – पाप और प्रवृत्ति की कमजोरियों को दूर करने वाले
50. ह्रदयग्रन्थिभेदकाय – दिल के अनुलग्नक नष्ट कर देने वाले
51. कर्मध्वंसिने – पापों व बुराई नष्ट करने वाले
52. शुद्ध-सत्वस्थिताय – शुद्ध, सच्चाई और अच्छाई
53. गुनातीतगुणात्मने – सभी अच्छे गुणों को पास रखने वाले
54. अनन्तकल्याण गुणाय – असीम अच्छे गुण वाले
55. अमितपराक्रमाय – अथाह शौर्य के स्वामी
56. जयिने – अजय
57. दुर्धर्षाक्षोभ्याय – अपने भक्तों के सभी आपदाओं को नष्ट करने वाले
58. अपराजिताय – सदैव वियजी रहने वाले
59. त्रिलोकेषु अविघातगतये – स्वतंत्रा देने वाले
60. अशक्य-रहीताय – सब कुछ पूरी तरह निष्पादित करने वाले
61. सर्वशक्तिमूर्तये – सभी शक्तियों की मूर्ति
62. सुरूपसुन्दराय – सुंदर
63. सुलोचनाय – आकर्षक सुंदर और प्रभावशाली आंखें
64. बहुरूप विश्वमूर्तये – अनेक रूप वाले
65. अरूपाव्यक्ताय – अमूर्त
66. अचिन्त्याय – सोचा से परे
67. सूक्ष्माय – छोटा रूप
68. सर्वान्तर्यामिणे – सम्पूर्ण विश्व
69. मनोवागतीताय – शब्द व दुनिया से परे
70. प्रेममूर्तये – प्यार का अवतार
71. सुलभदुर्लभाय – जिसको पाना आसान भी और कठिन
72. असहायसहायाय – भक्तों की आस्था पर निर्भर रहने वाले
73. अनाथनाथदीनबंधवे – अनाथों के दयालु प्रभु
74. सर्वभारभृते – अपने भक्तों की रक्षा का बोझ उठाने वाले
75. अकर्मानेककर्मसुकर्मिणे – महसूस न होने वाले
76. पुण्यश्रवणकीर्तनाय – सुनने योग्य
77. तीर्थाय – पवित्र नदियों का स्वरूप
78. वासुदेव – कृष्णा का स्वरूप
79. सतां गतये – सबको शरण में रखने वाले
80. सत्परायण – अच्छे गुण वाले
81. लोकनाथाय – विश्व के स्वामी
82. पावनानघाय – पवित्र रूप
83. अमृतांशवे – दिव्य अमृत
84. भास्करप्रभाय – सूर्य की तरह चमकने वाले
85. ब्रह्मचर्यतपश्चर्यादिसुव्रताय – ब्रह्मचारी की तपस्या के अनुसार
86. सत्यधर्मपरायणाय – सत्य और धर्म का प्रतीक
87. सिद्धेश्वराय – समस्त आठ सिद्धि के स्वामी
88. सिद्धसंकल्पाय – पूर्ण रूप से इच्छा का सम्मान करने वाले
89. योगेश्वराय – सभी योगियों या संन्यासियों के मस्तक के समान
90. भगवते – ब्रह्मांड की प्रमुख प्रभु
91. भक्तवत्सलाय – अपने भक्तों के पराधीन
92. सत्पुरुषाय – अनन्त, अव्यक्त व उत्तम पुरुष
93. पुरुषोत्तमाय – उच्चतम
94. सत्यतत्वबोधकाय – सत्य और वास्तविकता की सही सिद्धांतों का उपदेश देने वाले
95. कामादिशड्वैरिध्वंसिने – इच्छा, क्रोध, लोभ, घृणा, शान, और वासना का नाश करने वाले
96. समसर्वमतसम्मताय – सहिष्णु और सभी के प्रति समान
97. दक्षिणामूर्तये – भगवान शिव
98. वेंकटेशरमणाय – भगवान विष्णु
99. अद्भूतानन्तचर्याय – अनंत, अद्भुत कर्म (चमत्कार) करने वाले
100. प्रपन्नार्तिहराय – समस्याओं का नाश करने वाले
101. संसारसर्वदु – ख़क्षयकराय – सभी दुखों का नाश करने वाले
102. सर्ववित्सर्वतोमुखाय –
103. सर्वान्तर्बहि – स्थिताय – सभी मनुष्य में मौजूद रहने वाले
104. सर्वमंगलकराय – भक्तों के कल्याण के शुभ करने वाले
105. सर्वाभीष्टप्रदाय – भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति करने वाले
106. समरससन्मार्गस्थापनाय – एकता का संदेश देने वाले
107. समर्थसद्गुरुसाईनाथाय – श्री सद्गुरु साईंनाथ
108. सूक्ष्माय – छोटा रूप