शनि जयंती शनि अमावस्या शुभ मुहूर्त 2023 Shani Amavasya 2023 Date

शनि जयंती उपाय Shani Amavasya Upay 2023

Shani Amavasya 2023Shani Amavasya 2023 शनि जयंती साल में दो बार मनाई जाती है एक वैशाख अमावस्या और दूसरी ज्येष्ठ अमावस्या के दिन| इस साल 20 अप्रैल को वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाएगी. ये तिथि शनि देव को प्रसन्न करने के लिए बहुत लाभकारी मानी जाती है. सूर्य और छाया पुत्र शनि कर्मप्रधान देवता है, मेहनत और अच्छे कर्म करने वालों को शनि धन, सुख, संतान, सौभाग्य, सफलता प्रदान करते हैं आइये जानते है वैसाख शनि अमावस्या कब है, पूजा मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन शनि दोष, शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या से मुक्ति पाने व शनि देव को प्रसन्न करने के उपाय क्या है.

वैसाख शनि जयंती शुभ मुहूर्त 2023 Vaisakh Amavasya 2023 Date

  1. साल 2023 में वैसाख मास की शनि जयंती 20 अप्रैल को मनाई जाएगी.
  2. अमावस्या तिथि प्रारम्भ होगी – 19 अप्रैल सुबह 11:23 मिनट पर.
  3. अमावस्या तिथि समाप्त होगी- 20 अप्रैल सुबह 09:41 मिनट पर.
  4. इस साल वैशाख अमवास्या पर सूर्य ग्रहण भी है, हालांकि भारत में सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई देगा.
  5. सुबह की पूजा का शुभ मुहूर्त – 05.51 मिनट से 07.28 मिनट तक.
  6. दोपहर की पूजा का शुभ मुहूर्त – 10.43 मिनट से 01.58 मिनट तक.
  7. शाम की पूजा का शुभ मुहूर्त – 06.50 मिनट से 08.12 मिनट तक.

शनि जयंती पूजा विधि Shani Amavasya Pooja Vidhi

शास्त्रों के अनुसार शनि जयंती के दिन शनिदेव की पूजा के लिए प्रातःकाल स्नान के बाद किसी भी शनि मंदिर जाकर भगवान शनिदेव की प्रतिमा को प्रणाम करते हुए सरसों के तेल से अभिषेक करें। इसके बाद उन्हें काले तिल, उड़द की दाल, नीले फूल और नीले वस्त्र अर्पित करते हुए तेल का दीपक जलाएं और ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करे. अंत में आरती करे और जरूरतमंदों को शनि से सम्बंधित चीजों का दान करें.

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शनि अमावस्या पर करे ये काम Shani Amavasya Upay

  1. शनि जयंती के दिन छाया दान या शनिदेव पर तेल चढ़ाना बहुत लाभकारी माना गया है। इस दिन कांसे या लोहे के कटोरे में सरसों का तेल लें और उसमें अपना चेहरा देखें। उसके बाद कटोरे सहित इसे किसी गरीब या जरूरतमंद को दान कर दें या फिर शनि मंदिर में रख दें, इससे समस्याएं कम होने लगती है.
  2. शनिवारी अमावस्या या शनि जयंती के दिन गाय को रोटी में गुड़ और काले तिल डालकर खिलाने से दुःख दरिद्रता दूर होती है
  3. शनि की ढैया या साढ़ेसाती से पीड़ित जातको को इस दुर्लभ योग में तेल, काले तिल, काले वस्त्र, काली उरद की दाल, लोहा, काली गाय, सुवर्ण, आदि चीजों का दान करना चाहिए.
  4. ज्योतिषीय दृष्टि से देखें तो पीपल और शमी का संबंध शनि देव से माना जाता है। इन वृक्षों की जड़ में शनि जयंती एवं हर शनिवार को जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। साथ ही शनि की साढ़ेसाती या ढईया का प्रभाव कम होकर शनि की कृपा प्राप्त होती है।
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