मकर संक्रांति कब है Makar Sankranti Kab Hai 2020
मकर संक्रांति 2020 -भारत सांस्कृतिक विविधताओं वाला वो देश है जिसमें अनेको व्रत त्यौहार धूमधाम से मनाये जाते है. इन्हीं में एक है मकर संक्रांति का पर्व| साल भाषा में मकर शब्द का अर्थ मकर राशि से और संक्रांति का प्रवेश करने से है ज्योतिष के अनुसार इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है| जिस कारण इसे मकर संक्रांति कहा जाता हैं| कुछ जगहों पर इसे उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है आज हम आपको साल 2020 मकर संक्रांति पर्व की तिथि शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में बताएँगे.
मकर संक्रांति 2020 तिथि व शुभ मुहूर्त Makar Sankranti Dates Pooja Timing 2020
- साल 2020 में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी बुधवार के दिन मनाया जाएगा|
- संक्रांति पुण्यकाल मुहूर्त होगा – 15 जनवरी प्रातःकाल 07:15 मिनट से शाम 05:46 मिनट तक|
- मुहूर्त की कुल अवधि 10 घंटे 31 मिनट की होगी|
- संक्रांति महापुण्य काल मुहूर्त होगा – 15 जनवरी प्रातःकाल 07:15 मिनट से प्रातःकाल 09:00 बजे तक|
- मुहूर्त की कुल अवधि 1 घंटा 45 मिनट की होगी|
- संक्रांति स्नान 15 जनवरी बुधवार प्रातःकाल किया जायेगा |
मकर संक्रांति का महत्व Makar Sankranti Importance
धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही दृश्टिकोण से मकर संक्रांति पर्व खास महत्व रखता है। पौराणिक कथाओ के अनुसार इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। शनि जो की मकर व कुंभ राशि के स्वामी गृह है। जिस कारण यह पर्व पिता-पुत्र के इस अनोखे मिलन को दर्शाता है. कुछ जगहों पर तो इसे नई फसल और नई ऋतु के आगमन के तौर पर भी मनाते है. मकर संक्रांति पर्व के दौरान तिल और गुड़ से बने लड्डू व अन्य मीठे पकवान बनाने की परंपरा है। तिल और गुड़ के लड्डू बनाने के पीछे का महत्व ये है की इस समय ठंड का मौसम होता है जिसे कारण तिल व गुड़ से बने लड्डू स्वास्थ के लिए लाभदायक होते है।
मकर संक्रांति व्रत व पूजा विधि Makar Sankranti Pooja Vidhi
मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का बहुत अधिक महत्व होता है इसीलिए यदि संभव हो तो इस दिन प्रातःकाल उठकर किसी नदी, तालाब या शुद्ध जलाशय में स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर सूर्य देव की आराधना व ऊं सूर्याय नम: मंत्र का जाप करे. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस दिन तीर्थों में गंगा स्नान और दान करने से पुण्य फलो की प्राप्ति होती है। स्नान अदि के बाद ब्राह्मणों व गरीबों को दान करना भी बहुत ही शुभ होता है विशेष रूप से इस दिन दान में आटा, दाल, चावल, खिचड़ी और तिल के लड्डू दिए जाते हैं। इसके बाद घर आकर सभी में तिल व गुड़ का प्रसाद वितरण करना चाहिए.
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मकर संक्रांति पर खिचड़ी का महत्व Makar Sankranti Khichdi Mehtva
मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से खिचड़ी बनाने, खाने और खिचड़ी का दान करने की परंपरा है। इसीलिए बहुत सी जगहों पर इस पर्व को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चावल को चंद्रमा का प्रतीक और काली उड़द की दाल को शनि का प्रतीक माना जाता हैं कहा जाता है की मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और दान करने से कुंडली में ग्रहों की स्थिती मजबूत होती है। इसी कारण इस दिन खिचड़ी खाने और दान करने का बहुत अधिक महत्व है.