गौरी पूजा शुभ मुहूर्त 2020 Gauri Puja Gangaur Date Time 2020

गौरी पूजा सौभाग्य प्राप्ति उपाय Gangaur Puja Vidhi Vrat Katha

गौरी पूजा – शास्त्रों में गौरी पूजा का बहुत अधिक और खास महत्व बताया गया है इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव शंकर की पूजा आराधना की जाती है। माता पार्वती जिनका एक नाम देवी गौरी भी है। बहुत सी जगहों पर गौरी पूजा को गणगौर पूजा के नाम से भी जाना जाता है आज हम आपको साल 2020 में मनाये जाने वाले गौरी पूजा गणगौर पर्व की शुभ तिथि पूजा का शुभ मुहूर्त पूजा विधि और इस दिन किये जाने वाले सौभाग्य प्राप्ति महाउपाय के बारे में बताएँगे.

गौरी पूजा तिथि शुभ मुहूर्त 2020 Gauri Puja Date Time 2020

  1. साल 2020 me गौरी पूजा का पर्व और व्रत 27 मार्च शुक्रवार के दिन रखा जाएगा|
  2. तृतीया तिथि प्रारम्भ – 26 मार्च शाम 7 बजकर 53 मिनट |
  3. तृतीया तिथि समाप्त – 27 मार्च रात 10 बजकर 12 मिनट तक |

गौरी पूजा की विधि Gauri Puja Vidhi

शास्त्रों के अनुसार गौरी पूजा के दिन सर्वप्रथम स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प करते हुए एक चौकी पर गंगाजल छिड़क कर उस पर लाल कपड़ा बिछा ले। अब इस चौकी पर कलश स्थापित करें और इस कलश के अंदर गंगाजल,  सुपारी, हल्दी, चावल और एक सिक्का डालें कलश पर कलावा बांधें और इसके उपपर नारियल स्थापित कर ले।.इसके बाद माता पार्वती और भगवान शिव की तस्वीर या मूर्ति पूजास्थल पर स्थापित करें और घी का दीपक जला दें अब माता गौरी को पूजा की सभी सामग्री और सुहाग का सामान अर्पित करें और अंत में भोग लगाते के बाद व्रत कथा पढ़ ले. कथा के बाद माता गौरी को प्रणाम कर अपने सुहाग के लिए प्रार्थना करें।

गौरी पूजा का महत्व Gauri Puja Importance

गौरती पूजा का पर्व काफी लोकप्रिय पर्व है यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है इस दिन गौरी पूजा में माता पार्वती की पूजा और व्रत रखकर अपने पति सुहाग की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार गौरी पूजा का व्रत कुंवारी लड़कियां भी रख सकती है। मान्यता है कि यदि इस यदि कोई भी कुंवारी कन्या गौरी पूजा कर व्रत रखती है तो उसे सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति और अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है क्योकि इस दिन प्राचीन काल में भगवान शिव और माता पार्वती सभी सुहागन स्त्रियों को अखंड सुहाग का वरदान दिया था। जिस कारण आज भी इस पर्व का बहुत अधिक महत्व माना गया है.

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गौरी पूजा व्रत कथा Gauri Puja katha in Hindi

प्राचीन समय में एक बार भगवान शंकर माता पार्वती और नारद जी घूमते हुए चैत्र माह की तृतीय तिथि को एक गांव में पहुचे। उनके आने की खबर से निर्धन स्त्रियां उनके स्वागत के लिए हल्दी अक्षत लेकर पूजन हेतु गई। माता पार्वती ने उनके पूजा भाव को देखकर उन पर पूरा सुहाग रस छिड़क दिया। जिससे उन्हें अटल सुहाग का वरदान प्राप्त हुआ ये जानकर धनी वर्ग की स्त्रियां माता पार्वती के पास अनेक पकवान लेकर पहुंची। लेकिन माता पार्वती ने पूरा सुहाग रस निर्धन स्त्रियों में छिड़क दिया था जिस कारण माता पार्वती ने अंगुली चीर कर सुहाग रस छिड़क दिया। उसके बाद वे भगवान शिव से आज्ञा लेकर नदी में स्नान करने चली गई। स्नान करने के बाद उन्होने बालू की शिवलिंग बनाई और उसकी पूजा की तभी भगवान शिव प्रकट हुए और पार्वती माँ को ये वरदान दिया की आज के दिन जो स्त्री हमारा पूजन और व्रत करेगी उसे अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होगा| तभी से यह व्रत प्रचलित हुआ|

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