धनतेरस कब है 2023 सही तिथि Dhanteras 2023 Date Time Muhurat  

धनतेरस तिथि खरीददारी शुभ मुहूर्त Dhanteras Khareeddari Shubh Muhurat

Dhanteras 2023 Date Time Muhurat  शास्त्रों में धनतेरस का खास महत्व है. धनतेरस कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. धनतेरस से ही दिवाली पर्व की शुरुवात होती है इसे धन त्रयोदशी और धन्वंतरि जंयती भी कहते है। मान्यता अनुसार इस दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जनक भगवन धन्वंतरि जी समुद्र मंथन से अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे. इसीलिए इस दिन बर्तन खरीदने की भी परंपरा है। कहा जाता है की इस दिन खरीदी गई चल-अचल संपत्ति में तेरह गुणा वृद्धि होती है। आइये जानते है साल 2023 धनतेरस की सही तिथि, पूजा व खरीददारी के शुभ मुहूर्त और इसकी पूजा विधि क्या है|

धनतेरस तिथि व मुहूर्त 2023 dhanteras Shubh muhurat 2023 

  1. साल 2023 में धनतेरस का पर्व 10 नवंबर शुक्रवार को है|
  2. धन्वंतरि देव पूजा का शुभ मुहूर्त – 10 नवंबर सायंकाल 5:47 मिनट से रात्रि 07:43 मिनट तक|
  3. प्रदोष काल पूजा मुहूर्त – सायंकाल 05:30 मिनट से रात्रि 08:08 मिनट तक|
  4. वृषभ काल पूजा मुहूर्त – सायंकाल 05:43 मिनट से रात्रि 07:43 मिनट तक|
  5. त्रयोदशी तिथि प्रारंभ होगी -10 नवंबर दोपहर 12:35 मिनट पर|
  6. त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी – 11 नवंबर दोपहर 01:57 मिनट पर|

धनतेरस खरीददारी मुहूर्त 2023 Dhanteras Khariddari Muhurat 2023

धनतेरस पर सोना-चांदी और बर्तन खरीदने की परंपरा है. इस साल 10 नवंबर को धनतेरस के दिन खरीददारी का सबसे शुभ समय दोपहर 2:35 मिनट से 11 नवंबर 2023 की सुबह 6:40 मिनट के बीच है। इसके अलावा 11 नवंबर को सुबह 06:40 मिनट से दोपहर 1:57 मिनट तक का समय भी खरीददारी के लिए विशेष शुभ है.

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धनतेरस पूजा विधि Dhanteras pujan vidhi

शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन लक्ष्मी-गणेश, धन्वन्तरि जी, और कुबेर पूजन किया जाता है धनतेरस की शाम उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि जी और लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा स्थापित करे. सबसे पहले प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाये और सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन करे. अब सभी प्रतिमाओं को चन्दन का तिलक कर फल, फूल व अन्य पूजन सामग्री अर्पण करे. भगवान् कुबेर को सफेद मिठाई और भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई चढ़ाएं। पूजा के समय कुबेर मंत्र का जाप करना चाहिए। अब धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करे. धनतरेस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की परंपरा है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी की रात यम देवता का पूजन कर दक्षिण दिशा में याम के नाम का दीपक रखना चाहिए. इससे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता. अंत में सभी की आरती कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए.

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