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कालीदास के जीवन की कुछ रोचक और अद्धभुत बातें Interesting and amazing things of Kalidasa’s life

कालीदास का जीवन परिचय Biography of Kalidasa

कालिदास शब्द का अर्थ है काली का सेवक, कालीदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे. कालिदास नाम का शाब्दिक अर्थ है, “काली का सेवक”, कालीदास शिव के बहुत बड़े भक्त थे. उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं के आधार पर रचनाये की है कलिदास की रचनाये अद्वितीय हैं कालिदास वैदर्भी रीति के कवि हैं.

कालिदास के समय विषयों में काफी मदभेद पाया जाता था लेकिन आज विद्वानों की सहमति से उस समय का काल प्रथम शताब्दी ई. पू. माना जाता है और इसी आधार पर उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य के शासन काल से कालिदास का रचनाकाल संबध्द है.

कालीदास का जन्म स्थान Birth place of kalidas

कालिदास का जन्मस्थान विवादस्पद है  मेघदूतम् में उज्जैन के प्रति उनके प्रेम को देखते हुए कुछ लोग उज्जैन को उनका जन्मस्थान मानते है.

कुछ साहित्यकारों के अनुसार कालिदास का जन्म उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले के कविल्ठा गांव में हुआ था और कुछ विद्वानों का मनना है कि उनका जन्म बंगाल और उड़ीसा में हुआ था.

कालीदास का प्राम्भिक जीवन  Early life of Kalidas

कालिदास देखने में बहुत सुन्दर थे और वे विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में से एक थे. कालीदास अपने प्रारंभिक जीवन में अनपढ़ और मूर्ख थे उनका विवाह विद्योत्तमा नाम की राजकुमारी से हुआ था.  कहा जाता है कि विद्योत्तमा ने प्रतिज्ञा की थी कि जो कोई उसे शास्त्रार्थ में हरा देगा, वह उसी के साथ शादी करेगी। जब विद्योत्तमा ने शास्त्रार्थ में सभी विद्वानों को हरा दिया तो अपमान सहन न होने पर उन्होंने कालिदास से उसका शास्त्रार्थ कराया। विद्योत्तमा मौन शब्दावली में गूढ़ प्रश्न पूछती थी, जिसे कालिदास अपनी बुद्धि से मौन संकेतों से ही जवाब दे देते थे उदाहरण के लिए विद्योत्तमा ने प्रश्न के रूप में खुला हाथ दिखाया तो कालिदास को लगा कि यह थप्पड़ मारने की धमकी दे रही है।

उसके जवाब में कालिदास ने घूंसा दिखाया तो विद्योत्तमा को लगा कि वह कह रहा है कि पाँचों इन्द्रियाँ भले ही अलग हों, सभी एक मन के द्वारा संचालित हैं और इसके बाद उन दोनों का विवाह हो गया लेकिन बाद में विद्योत्तमा  को सच्चाई का पता चला कि कालिदास अनपढ़ हैं और उन्होंने कालिदास को धिक्कार कर घर से निकाल दिया. तब कालिदास ने सच्चे मन से काली माँ की आराधना की और उनके आशीर्वाद से वे ज्ञानी और धनवान बने इसके बाद वे अपने घर लौटे और दरवाजा खड़का कर कहा – कपाटम् उद्घाट्य सुन्दरि (दरवाजा खोलो, सुन्दरी) विद्योत्तमा ने पूछा- अस्ति कश्चिद् वाग्विशेषः (कोई विद्वान लगता है). कालिदास ने विद्योत्तमा को अपना पथप्रदर्शक गुरू मानकर उनके इस वाक्य को अपने काव्यों में जगह दी.

कालीदास का परिवार Kalidas family

कालीदास का पूरा नाम – कालिदास

कालीदास का जन्म – पहली से तीसरी शताब्दी के बीच ईसा पूर्व माना जाता है.

जन्मस्थान – जन्मस्थान विवादित

कालीदास का विवाह –  राजकुमारी विद्योत्तमा से

कालीदास की रचनाये kalidas ki rachnaye

कालिदास की प्रमुख रचनाएं निम्न है.

नाटक- अभिज्ञान शाकुन्तलम्, विक्रमोवशीर्यम् और मालविकाग्निमित्रम्, (विक्रम और उर्वशी), और अभिज्ञान शाकुन्तलम् (शकुंतला की पहचान).

महाकाव्य- रघुवंशम् और कुमारसंभवम् खण्डकाव्य: मेघदूतम् और ऋतुसंहार

नाटक कालिदास के प्रमुख नाटक हैं- मालविकाग्निमित्रम् (मालविका और अग्निमित्र), विक्रमोर्वशीयम् (विक्रम और उर्वशी), और अभिज्ञान शाकुन्तलम् (शकुंतला की पहचान).

खण्डकाव्य- मेघदूतम्

प्रश्न 1. कालीदास कौन थे?

उत्तर .कालीदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे.

प्रश्न 2. कालीदास का जन्म कहाँ हुआ था ?

उत्तर . कालिदास का जन्म उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले के कविल्ठा गांव में हुआ था.

प्रश्न 3. कालीदास का पूरा नाम क्या था?

उत्तर . कालीदास का पूरा नाम कालीदास था.

प्रश्न 4. कालीदास का विवाह किसके साथ हुआ था?

उत्तर . कालीदास का विवाह राजकुमारी विद्योत्तमा से हुआ था.

प्रश्न 5. कालीदास के प्रमुख नाटक कौन से है?

उत्तर . कालीदास के प्रमुख नाटक अभिज्ञान शाकुन्तलम्, विक्रमोवशीर्यम् और मालविकाग्निमित्रम् आदि है.

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