शारदीय नवरात्रि कब है 2025 Shardiya Navratri 2025 Start Date Time

नवरात्री शुभ मुहूर्त 2025 Navratri Durga Puja Muhurat 2025

शास्त्रों के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि शुरू होती है. नवरात्री के पहले दिन घटस्थापना के बाद नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ रूपों का पूजन किया जाता है.  मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा से साधक को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। ज्योतिष अनुसार हर बार की तरह इस बार भी नवरात्री की प्रतिपदा तिथि को लेकर लोगो में कन्फ्यूजन बना हुआ है आइये जानते है साल 2025 में नवरात्री कब से शुरू है, नवरात्री अष्टमी, नवमी दशहरा, पारण कब है, कलश स्थापना तिथि व शुभ मुहूर्त और नवरात्री के दौरान ध्यान रखी जाने वाली बाते क्या है|

शारदीय नवरात्री कलश या घटस्थापना मुहूर्त 2025 Shardiya Navratri 2025 Muhurat

  1. साल 2025 में शारदीय नवरात्रि का पर्व 22 सितम्बर सोमवार से शुरू होगा|
  2. प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 22 सितम्बर प्रातःकाल 01:23 मिनट
  3. प्रतिपदा तिथि समाप्त – 23 सितम्बर प्रातःकाल 02:55 मिनट
  4. घटस्थापना मुहूर्त – 22 सितम्बर प्रातःकाल 06:09 मिनट से प्रातःकाल 08:06 मिनट
  5. घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – प्रातःकाल 11:49 मिनट से दोपहर 12:38 मिनट
  6. दुर्गा अष्टमी – 30 सितंबर मंगलवार
  7. दुर्गा नवमी – 1 अक्टूबर बुधवार
  8. नवरात्रि पारणा, दशहरा – 2 अक्टूबर गुरुवार

कलश स्थापना विधि Shardiya Navratri 2025 Kalash Sthapana

नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करनी चाहिए. कलश स्थापना के लिए मिट्टी के बर्तन में सप्त धान्य बोकर इसके उप्पर जल से भरा कलश रखना चाहिए। कलश में रोली से स्वस्तिक बनाये और कलावा बांधे। कलश में अशोक या आम के पत्ते रखकर कलश में सिक्का, दूब, सुपारी डाल दे. इसके बाद एक नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर स्थापित कर दें और नौ दिनों तक मा की विधिवत आराधना करे.

शारदीय नवरत्रि नियम Shardiya Navratri niyam

  1. शास्त्रों के अनुसार नवरात्री के नौ दिनों में सुबह शाम माँ दुर्गा की विधिवत पूजा करनी चाहिए.
  2. नवरात्रि पर्व के दौरान घर में सात्विक भोजन बनाना चाहिए इस दौरान लहसुन-प्याज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  3. नवरात्री के दौरान नाखून, बाल और दाढ़ी-मूछ नहीं बनवानी चाहिए।
  4. नवरात्री में कलश स्थापना प्रतिपदा तिथि में ही करनी चाहिए.
  5. व्रत पूर्ण करने के बाद अष्टमी या नवमी तिथि पर विधि-विधान से उद्यापन करना शुभ होता है|

 

 

 

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