अच्छे लोगों के साथ ही बुरा क्यों होता है Motivational Speech
कई बार हमारी लाइफ में ऐसे हालात आ जाते है जब हम किसी का बहुत अच्छा करते है लेकिन वहीं इंसान हमारे लिए बुरा सोचता है. ऐसे में हमारे मन में ये प्रश्न जरूर आता है कि ऐसे ने यह प्रश्न कई लोगो के मन मे आता होगा। मैंने तो कभी किसी का बुरा नही किया, ना ही कभी किसी के लिए बुरा सोचा तो फिर मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ। ऐसे कई विचार अधिकांश लोगों के मन मे आते होंगे। तो दोस्तों आज हम आपको एक ऐसी ही मोटीवीटोनाल स्टोरी की और लेकर जा रहे है.
एक नगर में दो व्यक्ति रहते थे। पहला पुरूष एक बहुत अच्छा व्यापारी था एक नेक इंसान होने के साथ ही वो धर्म और नीति का पालन किया करता था, और रोज सुबह मंदिर जाकर भगवान की भक्ति करता था।
लेकिन वहीं दूसरा व्यक्ति इसके एकदम विपरीत था वो हमेशा ही झूट बोलता था और गलत करता था.वो मंदिर में दर्शन के बजाए वहां से चप्पल चुराता था. और लोगो मासूम लोगो को तंग किया करता, एक बार नगर में बहुत ही तेज बारिश हुई.
तेज बारिश के कारण नगर का कोई भी व्यक्ति मंदिर नहीं आया. हर कोई अपने घर में ही था. मंदिर में थे तो सिर्फ मंदिर के पुजारी. दुष्ट व्यक्ति ने जैसा देखा की मंदिर में अभी कोई नहीं है. तो वो मौका पाकर मंदिर से सारा धन चुराकर पंडित जी की नजरों से भाग निकला. लेकिन थोड़ी बारिश रुकने के बाद भगवान के दर्शन के लिए वह व्यापारी मंदिर आ पहुंचा. लेकिन लोगो ने मंदिर में धन के चोरी का इल्जाम उस भले व्यापारी पर लगा दिया. जिसे उसने चोरी ही नहीं किया. लोग अब व्यापारी को बहुत उलटा सुल्टा कहते. और वहीं वो दुष्ट चोर सब कुछ देखने के बाद भी बहुत खुश था. व्यापारी उस दिन जैसे ही मंदिर से वापस होकर अपने घर लोट रहा था. तभी एक गाडी ने उसे टक्कर मार दी जिसमें उस भले आदमी को क़ाफी चोटे भी आयी. व्यापारी हिम्मत करके अपने घर निकलता है तो रास्ते में देखता है कि उस दुष्ट व्यक्ति के हाथ में एक थैला है. और वह दुष्ट व्यक्ति खुशी में झूमता हुआ बोल रहा था कि आज तो जैसी ही मेरी किस्मत चमक गई हो. पहले मुझे मंदिर से इतना सारा धन मिला उसके बाद अब ये पैसों से भरी पोटली.. क्या बात है. ये सुनकर व्यापारी हैरान हो गया। और सोचने लगा कि मैंने कभी किसी का बुरा नहीं किया कभी किसी के लिए बुरा नहीं सोचा लेकिन आज मुझे भगवन ये दिन दिखा रहा है
और वहीं ये दुष्ट व्यक्ति इतना खुश है जिसने कभी भी किसी के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया. ये सोचकर वो घर गया और निर्णय लिया कि अब वो कभी भी भगवन कि पूजा नहीं करेगा. लेकिन रात जैसे ही उसे नींद आयी उसके सपनो में भगवान आये और उस व्यापारी से बोले – क्या हुआ पुत्र तुम इतने दुखी क्यों हो.. लेकिन वो व्यापारी आज कि बात से इतना क्रोधित था कि उसने नाराज़ स्वर में भागवान जी से ही प्रश्न किया मैं तो सदैव ही अच्छे कर्म करता था, हमेशा सबक मदद किया करता था कभी भी किसी के लिए बुरा करने कि नहीं सोची लेकिन इन सबके बदले मुझे आज इतना अपमान सहना पड़ा.. मुझे उस जुल्म कि सजा मिली जो मेने किया ही नहीं.. ऐसा क्यों प्रभु..मेरा कसूर क्या था. बल्कि उस अधर्मी व्यक्ति को नोटो से भरी पोटली…आखिर क्यों? व्यापारी के इस सवाल पर भगवान जी ने मुस्कुराकर जवाब दिया बेटा जिस दिन तुम्हारे साथ रास्ते में वो दुर्घटना घटी थी, वो तुम्हारी ज़िन्दगी का आखिरी दिन था, लेकिन सिर्फ तुम्हारे अच्छे कर्मों के कारण तुम्हारी मृत्यु बस उस छोटी सी दुर्गटना में ही टल गयी.जिससे तुम्हे ज्यादा चोटे भी नहीं आयी. लेकिन उस दुष्ट व्यक्ति को इस जन्म में राजयोग मिलना था लेकिन इसके बुरे कर्मो के चलते वो राजयोग एक छोटे से धन की पोटली में बदल गया। अब व्यापारी समझ चुका था कि भगवान हमें क्या किस रूप में दे रहे है ये हम कल्पना भी नहीं कर सकते.
दोस्तों इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है कि हमे हमेशा अच्छी ही कर्म करने चाहिए. क्योकि अच्छे कर्मों का फल हमे जरूर मिलता है. यदि आप अच्छे कर्म कर रहे हैं और बुरे कर्मो से दूर हैं, तो भविष्य में अपको इसका पुरस्कार जरूर मिलेगा इसलिए अपने जीवन मे आने वाले दुखों और परेशानियों से कभी ये न समझे कि हमारे साथ ही गलत क्यों हो रहा है.. “कर्म करो, फल की चिंता मत करो।“ यह वह राह है जो हर हाल में आपको दुखी नहीं होने देगा।
अगर कोई आपके साथ नहीं है तो नहीं है ना. क्यों किसी के पीछे अपना समय बर्बाद करना. कोई साथ नहीं तो अकेले चलो. क्योकि जिनमे अकेले चलने का हौसला होता है. उनके पीछे एक दिन काफिला होता है.