सावन प्रदोष पूजा विधि, मुहूर्त, महत्व Sawan Pradosh Vrat 2023
Sawan Pradosh Vrat 2023 हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में दो बार त्रयोदशी तिथि आती है। एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। त्रयोदशी भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन भगवान भोलेनाथ के भक्त व्रत उपवास रखकर प्रदोष काल में विधि-विधान से उनका पूजन करते हैं। मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने शिव जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सुख-शांति प्रदान करते है. इस साल अधिकमास होने के कारण सावन दो महीने का है जिस कारण सावन माह के प्रदोष व्रत की संख्या भी बढ़ जाएगी. आइये जानते है साल 2023 सावन में कब-कब और कितने प्रदोष पड़ेंगे, पूजा मुहूर्त, और प्रदोष व्रत विधि क्या है|
सावन प्रदोष व्रत तिथियां 2023 Sawan Pradosh Vrat 2023
- साल 2023 में सावन का महीना 59 दिनों का होगा|
- इस बार सावन में कुल 4 प्रदोष व्रत पड़ेंगे|
- सावन का पहला प्रदोष व्रत – 14 जुलाई शुक्रवार
- सावन का दूसरा प्रदोष व्रत – 30 जुलाई रविवार
- सावन का तीसरा प्रदोष व्रत – 13 अगस्त रविवार
- सावन का चौथा प्रदोष व्रत – 28 अगस्त सोमवार
सावन प्रदोष शुभ मुहूर्त 2023 Sawan Pradosh Shubh Muhurat
- पहला प्रदोष 14 जुलाई 2023
- त्रयोदशी तिथि 14 जुलाई रात 07.17 मिनट से 15 जुलाई रात 08.32 मिनट तक होगी|
- शिव पूजा का समय – रात 07.21 मिनट से रात 09.24 मिनट
- दूसरा प्रदोष व्रत 30 जुलाई 2023
- त्रयोदशी तिथि 30 जुलाई सुबह 10.34 मिनट से 31 जुलाई सुबह 07.26 मिनट तक रहेगी|
- शिव पूजा समय – रात 07.14 मिनट से रात 09.19 मिनट
- तीसरा प्रदोष व्रत 13 अगस्त 2023
- त्रयोदशी तिथि 13 अगस्त सुबह 08.19 मिनट से 14 अगस्त सुबह 10.25 मिनट तक रहेगी|
- शिव पूजा समय – रात 07.03 मिनट से रात 09.12 मिनट
- चौथा प्रदोष व्रत 28 अगस्त 2023
- त्रयोदशी तिथि 28 अगस्त शाम 06.22 मिनट से 29 अगस्त दोपहर 02.47 मिनट तक रहेगी|
- शिव पूजा समय – शाम 06.48 मिनट से रात 09.02 मिनट
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सावन प्रदोष पूजा विधि Sawan Pradosh Puja Vidhi
सावन प्रदोष के दिन प्रात: स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत एवं पूजा का संकल्प करें। शाम के शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर जाकर या घर पर ही भगवान शंकर की विधिवत पूजा करें। पूजा में सबसे पहले गाय के दूध और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें। फिर सफेद चंदन का लेप करे। घी का दीपक जलाएं. इसके बाद भोलेनाथ को अक्षत, बेलपत्र, धतूरा, शमी का पत्ता, सफेद फूल, शहद, भस्म, शक्कर आदि अर्पित करें। इस दौरान ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें। पूजा के बाद शिव चालीसा व व्रत कथा का पाठ कर आरती करें।