जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त व पूजन विधि Janmashtami Vrat Date Time 2023
Krishna Janmashtami 2023 Date Time हर साल जन्माष्टमी का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था इसलिए इसे कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को हुआ था. इस दिन व्रत रखकर भगवान कृष्ण का पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. आइये जानते है साल 2023 में जन्माष्टमी कब है, पूजा व पारण का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, शुभ योग और इसकी पूजा विधि क्या है|
जन्माष्टमी तिथि व शुभ मुहूर्त 2023 Janmashtami Shubh Muhurat 2023
- साल 2023 में कृष्ण जन्माष्टमी 6 और 7 सितम्बर को मनाई जाएगी|
- अष्टमी तिथि आरंभ होगी – 6 सितम्बर दोपहर 03:37 मिनट पर|
- अष्टमी तिथि समाप्त होगी – 7 सितम्बर शाम 04:14 मिनट पर|
- रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ – 06 सितंबर सुबह 09:20 मिनट पर|
- रोहिणी नक्षत्र समाप्त – 07 सितंबर सुबह 10:25 मिनट पर|
- निशिथ काल पूजा का समय होगा – रात्रि 11:56 मिनट से लेकर 12:42 मिनट तक|
जन्माष्टमी व्रत का पारण कब करें Janmashtami Paran Time 2023
- पंचांग के अनुसार गृहस्थ जीवन वाले जन्माष्टमी का व्रत 6 सितम्बर को रखेंगे उनके लिए व्रत का पारण 7 सितंबर को सुबह 06.09 मिनट के बाद किया जाएगा.
- वही इस्कॉन के अनुसार 7 सितम्बर को व्रत रखने वालो के लिए पारण का समय
- होगा 08 सितम्बर सुबह 06:02 मिनट के बाद
जन्माष्टमी व्रत विधि Janmashtami Vrat Vidhi
जन्माष्टमी व्रत में अष्टमी के उपवास व पूजन के बाद नवमी के दिन व्रत का पारण किया जाता है. व्रत से एक दिन पहले यानी सप्तमी के दिन हल्का और सात्विक भोजन करना चाहिए. अष्टमी के दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत होकर व्रत का संकल्प ले. पूजास्थल पर लड्डू गोपाल की प्रतिमा और देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाएं. मध्यरात्रि में लड्डूगोपाल को पंचामृत से अभिषेक कर तिलक व उनका श्रृंगार करे, उन्हें उनका प्रिय माखन मिश्री का भोग लगाए, झूला झुलाये और आरती करे. अगले दिन व्रत का पारण कर व्रत सम्पन्न करे.
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कृष्ण जन्माष्टमी शुभ योग 2023 Janmashtami Shubh Yog 2023
पंचांग के अनुसार इस बार जन्माष्टमी यानि की 6 सितंबर के दिन तीन अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन हर्षण योग रात्रि 10:26 मिनट तक रहेगा। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन और रवि योग सुबह 06:01 मिनट से सुबह 09:20 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में ये सभी योग पूजा-पाठ के लिए श्रेष्ठ माने गए है|