चैत्र पूर्णिमा का व्रत कब है 2025 Chaitra Purnima Vrat 2025 Date

चैत्र पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2025 Chaitra Purnima Muhurat 2025

Chaitra Purnima Vrat 2025 Date पंचांग के अनुसार चैत्र के महीने में आने वाली पूर्णिमा चैत्र पूर्णिमा होती है. पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी, सत्यनारायण भगवान और चंद्रदेव की पूजा का विधान है. पूर्णिमा के दिन संगम तट पर स्नान-दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. चैत्र पूर्णिमा इसीलिए भी खास होती है क्योकि इस दिन हनुमान जयंती का पर्व भी मनाया जाता है. आइये जानते है साल 2025 में चैत्र मास की पूर्णिमा का व्रत कब है, सत्यनारायण पूजा व पूर्णिमा स्नान-दान का शुभ समय, पूर्णिमा तिथि कब से कब तक रहेगी, चंद्रोदय समय और इस दिन की जाने वाली पूजा विधि क्या है|

चैत्र पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2025 Chaitra Purnima 2025 Shubh Muhurat

  1. साल 2025 में चैत्र पूर्णिमा का व्रत और हनुमान जन्मोत्सव – 12 अप्रैल शनिवार |
  2. स्नान दान की पूर्णिमा – 12 अप्रैल शनिवार|
  3. ब्रह्म मुहूर्त – प्रातःकाल 04:29 मिनट प्रातःकाल 05:14 मिनट|
  4. अभिजित मुहूर्त – प्रातःकाल 11:56 मिनट से दोपहर 12:48 मिनट|
  5. गौधूलि मुहूर्त – सायंकाल 06:45 मिनट से रात 08:09 मिनट|

चैत्र पूर्णिमा तिथि कब से कब तक है Chaitra Purnima Kab Se Kab Tak 2025

साल 2025 में पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 12 अप्रैल प्रातःकाल 03:21 मिनट पर होगा और चैत्र पूर्णिमा तिथि का समापन 13 अप्रैल प्रातःकाल 05:51 मिनट पर होगा|

चैत्र पूर्णिमा चंद्रोदय का समय Chaitra Purnima Moon Rise Time 2025

शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा के दिन जितना महत्व स्नान, दान और व्रत का होता है. उतना ही अधिक महत्व रात्रि में चंद्रपूजा कभी होता है साल 2025 में चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन 12 अप्रैल सायंकाल 06:18 मिनट पर चन्द्रमा उदय होने के बाद ही चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जायेगा|

चैत्र पूर्णिमा पूजा विधि Chaitra Purnima Puja Vidhi

शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर सूर्य भगवान को अर्घ्य देना चाहिए. इसे बाद व्रत का संकल्प लेकर पूजास्थल में घी का दीपक जलाकर सत्यनारायण भगवान और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करनी चाहिए. भगवान विष्णु को पंचामृत से अभिषेक कराकर हल्दी या चन्दन का तिलक करे. भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को फल-फूल, तिल, अक्षत, और तुलसी दल डालकर खीर का नैवेद्य अर्पित करे. अंत में सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ कर आरती करे. रात्रि में चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न करे.

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