रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त पूजा-विधि Rakhi Shubh Muhurt 2020
रक्षाबंधन 2020 – रक्षाबंधन का त्यौहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है बहुत सी जगहों पर इसे राखी पूर्णिमा भी कहते है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है इसीलिए पूरे भारतवर्ष में यह खासा लोकप्रिय है. इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रंग-बिरंगी राखियाँ बांधती हैं और उनकी सुख समृद्धि की कामना करती है वहीं भाई भी अपनी बहनों को उनकी रक्षा का वचन देते हैं। आज हम आपको साल 2020 रक्षाबंधन पर्व की शुभ तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, व पूजा विधि और इस खास दिन आपको कौन से कार्य नहीं करने चाहिए इस बारे में बताएँगे.
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त 2020 Raksha Bandhan 2020 Shubh Muhurat
- साल 2020 में रक्षाबंधन का पर्व 3 अगस्त सोमवार के दिन मनाया जाएगा.
- पूर्णिमा तिथि शुरू होगी – 2 अगस्त रविवार रात्रि 09:28 मिनट पर|
- पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी – 3 अगस्त सोमवार रात्रि 09:28 मिनट पर|
- रक्षा सूत्र बांधने का शुभ मुहूर्त होगा – 3 अगस्त सोमवार प्रातःकाल 09:28 मिनट से रात्रि 09:17 मिनट तक|
- मुहूर्त की कुल अवधि होगी 11 घंटे 49 मिनट की होगी|
- रक्षा बन्धन अपराह्न मुहूर्त होगा – दोपहर 01:48 मिनट से शाम 04:29 मिनट तक|
- मुहूर्त की कुल अवधि 02 घण्टे 41 मिनट की होगी|
- रक्षा बन्धन प्रदोष काल मुहूर्त होगा – शाम 07:10 मिनट से रात्रि 09:17 मिनट तक|
- मुहूर्त की कुल अवधि 02 घण्टे 07 मिनट की होगी|
- भद्रा काल समाप्ति का समय होगा- प्रातःकाल 09:28 मिनट पर|https://youtu.be/ycp167eZ2zA
रक्षाबंधन पूजा-विधि Raksha Bandhan Puja Vidhi
रक्षा बंधन का त्यौहार भाई बहनो के आपसी प्रेम और स्नेह को दर्शाता है. आज के दिन बहने भाईयों की कलाई पर रक्षा-सूत्र या राखी बांधती हैं और अपने भाई की दीर्घायु, समृद्धि व ख़ुशी जीवन की कामना करती हैं। रक्षाबंधन के दिन स्नानादि के बाद भाई बहिन दोनों को मिलकर पूजा करनी चाहिए. पूजा से पहले पूजा की थाल सजाकर उसमे रोली अक्षत, दीपक और राखियां रख ले. पूजा के बाद भाई को आसन पर बिठाकर उनका तिलक कर उनके दाहिनी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने के बाद मिठाई खिलाकर पूजा सम्पन्न करे. राखी बंधवाने के बाद भाई भी बहनो रक्षा का वचन और कुछ उपहार भेंट देते है.
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रक्षाबंधन मुहूर्त से जुड़े नियम Raksha Bandhan Muhurt rules
- शास्त्रों के अनुसार रक्षा बंधन के दिन भाइयो को राखी बांधते समय रक्षा सूत्र का पाठ करना बिलकुल ना भूले।
- रक्षा बंधन का त्यौहार सावन मास में उस दिन मनाया जाता है जिस दिन पूर्णिमा अपराह्ण काल में पड़े|
- यदि पूर्णिमा तिथि के समय अपराह्ण काल में भद्रा हो तो भद्राकाल में रक्षाबन्धन नहीं मनाना चाहिए और यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती तीन मुहूर्तों में हो, तो इस पर्व से जुड़े सभी विधि विधान अगले दिन के अपराह्ण काल में ही किये जाने चाहिए.
- यदि पूर्णिमा तिथि अगले दिन के शुरुआती 3 मुहूर्तों में न हो तो रक्षा बंधन पहले ही दिन भद्रा के बाद प्रदोष काल में मनाया जा सकता है भद्राकाल के समय रक्षाबंधन का पर्व मनाना निषेध माना जाता है.