छठ पूजा विधि तारीख व समय 2017 Chhath Puja Vidhi 2017 Date and Time –
छठ पूजा शुभ मुहूर्त पूजा विधि चैत्र शुक्लपक्ष की षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ त्यौहार को चैती छठ के नाम से जाना जाता है. जबकि कार्तिक शुक्लपक्ष की षष्ठी पर मनाए जाने वाले इस त्योहार को कार्तिकी छठ कहा जाता है. छठ पूजा चार दिनों का पर्व है। अतः इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को और समाप्ति कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है। इस दौरान व्रत रखने वाले लोग लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं और इस दौरान वे पानी भी ग्रहण नहीं करते। माना जाता है कि यह त्यौहार पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल-प्राप्ति के लिए मनाया जाता है. भारत में छठ पूजा भगवान सूर्य की उपासना का सबसे प्रसिद्ध हिंदू पर्व है. आज हम बात करेंगे साल 2018 में छठ पूजा का शुभ – मुहूर्त और सामग्री के बारे में.
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छठ पूजा शुभ मुहूर्त पूजा विधि पूजन सामग्री –
छठ पूजा शुभ मुहूर्त पूजा विधि छठ पूजन सामग्री में बॉस के फट्टे से बने दौरा, डलिया और डगरा पानी वाला नारियल, गन्ने जिसमें पत्ते लगे हो, शकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा, शहद की डिब्बी, पान और साबूत सुपारी, सिंदूर, कपूर, कुमकुम, अक्षत, चन्दन, मिठाई, घर में बने हुए पकवान आदि शामिल किये जाते है.
छठ पूजा शुभ मुहूर्त पूजा विधि छठ पूजा 2017 –
छठ पर्व तिथि – बृहस्पतिवार 26 अक्तूबर 2017
छठ तिथि को सूर्योदय का समय – सुबह 06 बजकर 28 मिनट (26 अक्तूबर 2017)
सूर्यास्त, छठ तिथि – सांय काल 05 बजकर 40 मिनट (26 अक्तूबर 2017)
षष्ठी तिथि प्रारंभ – सुबह 09 बजकर 37 मिनट से (25 अक्तूबर 2017)
षष्ठी तिथि समाप्त – दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक (26 अक्तूबर 2017)
छठ पूजा शुभ मुहूर्त पूजा विधि छठ पूजा व्रत विधि –
छठ पूजा शुभ मुहूर्त पूजा विधि सबसे पहले बता दे कि छठ पूजा पर्व अलग अलग क्षेत्रों में भिन्न भिन्न तरीके से मनाया जाता है. यही वजह है कि अलग अलग जगहों पर पूजा विधि में अंतर पाया गया है.
छठ पूजा शुभ मुहूर्त पूजा विधि छठ पूजा पर्व चार दिनों का होता है। भैयादूज के तीसरे दिन से यह शुरू होता है। पहले दिन सेन्धा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। दूसरे दिन से व्रत शुरू है। व्रत रखने वाले लोग दिनभर भोजन और जल त्याग कर शाम करीब 7 बजे से खीर बनाकर, पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे खरना कहा जाता हैं। छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। और चौथे अथार्त अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। ध्यान रखे कि पूजा में पवित्रता का विशेष महत्व होता है. इस दिन लहसून, प्याज वर्जित होता है।