शारदीय नवरात्रि 2024 कलश या घट स्थापना मुहूर्त Shardiya Navratri 2024 Shubh Muhurat

नवरात्री कलश स्थापना विधि Navratri Durga Puja Kalash Sthapana 2024

Shardiya Navratri 2024 Shubh MuhuratShardiya Navratri 2024 Shubh Muhurat पंचांग के अनुसार साल में कुल चार बार नवरात्रि आती हैं। जिसमे से दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त नवरात्रि होती है. शारदीय व चैत्र नवरात्रि प्रत्यक्ष नवरात्रि होती हैं आश्विन माह में आने वाली नवरात्री शारदीय नवरात्रि कहलाती है साल 2024 में शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर गुरुवार से शुरू होंगी और 12 अक्टूबर को समाप्त होंगी। नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापना या घटस्थापना की जाती है। आइये जानते है साल 2024 में शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश या घट स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त, कलश स्थापना विधि और अष्टमी नवमी व दशहरा कब मनाया जायेगा|

शारदीय नवरात्री कब से कब तक 2024 Shardiya Navratri 2024 Muhurat

  1. साल 2024 में शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर गुरुवार से शुरू होकर 12 अक्टूबर शनिवार तक चलेगा|
  2. प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 3 अक्टूबर प्रातःकाल 12:18 मिनट पर|
  3. प्रतिपदा तिथि समाप्त होगी – 4 अक्टूबर प्रातःकाल 02:58 मिनट पर|

कलश या घटस्थापना शुभ मुहूर्त 2024 Kalash Sthapana Muhurat 2024

  1. आश्विन नवरात्रि 2024 में घटस्थापना 3 अक्टूबर गुरुवार को की जाएगी|
  2. घटस्थापना प्रातःकाल मुहूर्त – प्रातःकाल 06:15 मिनट से प्रातःकाल 07:22 मिनट तक|
  3. घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – प्रातःकाल 11:46 मिनट से दोपहर 12:33 मिनट तक|
  4. दुर्गा अष्टमी और दुर्गा नवमी होगी – 11 अक्टूबर|
  5. नवरात्रि पारण, दुर्गा विसर्जन – 12 अक्टूबर|

दशमी तिथि व दशहरा शुभ मुहूर्त Dussehra Worship Date Time 2024

  1. साल 2024 में दशमी तिथि और दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जायेगा|
  2. दशमी तिथि शुरू – 12 अक्टूबर प्रातःकाल 10:58 मिनट|
  3. दशमी तिथि समाप्त – 13 अक्टूबर प्रातःकाल 09:08 मिनट|
  4. श्रवण नक्षत्र प्रारंभ- 12 अक्टूबर प्रातःकाल 05:25 मिनट|
  5. श्रवण नक्षत्र समाप्ति- 13 अक्टूबर प्रातःकाल 04:27 मिनट|
  6. विजय मुहूर्त होगा- दोपहर 02:03 मिनट से 02:49 मिनट|
  7. अपराह्न पूजा का समय – दोपहर 01:17 से सायंकाल 03:35 मिनट|

कलश स्थापना विधि Shardiya Navratri Kalash Sthapana Vidhi

शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. इस दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प ले पूजास्थल पर कलश या घट स्थापना के लिए मिट्टी के बर्तन में सप्त धान्य बौ ले अब उसमे जल से भरा कलश रखकर रोली से उसपर स्वस्तिक बना ले. कलश के ऊपरी भाग में कलावा बाँधकर उसे मिट्टी के पात्र में रख दे. कलश के ऊपर अशोक या आम के पत्ते रखें. कलश में सिक्का हल्दी व सुपारी डाले. एक नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर स्थापित कर दें. इस तरह घटस्थापना पूर्ण होने के बाद समस्त देवी देवताओ का आह्वान कर विधिवत माता शैलपुत्री की पूजा करे.

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