मोहिनी एकादशी व्रत Mohini Ekadashi Importance 2024
मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त 2024 Mohini Ekadashi Date time 2024
- साल 2024 में मोहिनी एकादशी का व्रत 19 मई रविवार को रखा जायेगा|
- एकादशी तिथि प्रारम्भ होगी – 18 मई प्रातःकाल 11:22 मिनट पर|
- एकादशी तिथि समाप्त होगी – 19 मई दोपहर 01:50 मिनट पर|
- पूजा का शुभ मुहूर्त – प्रातःकाल 07:10 मिनट से दोपहर 12:18 मिनट|
- द्वादशी तिथि दोपहर 03:58 मिनट पर समाप्त होगी|
- पारण का समय – 20 मई प्रातःकाल 05.28 मिनट से प्रातःकाल 08.12 मिनट|
मोहिनी एकादशी शुभ योग 2024 Mohini Ekadashi Shubh Yog 2024
साल 2024 में मोहिनी एकादशी पर अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा. इसके अलावा इस दिन शुक्र और सूर्य वृषभ राशि में मौजूद रहेंगे, जिससे शुक्रादित्य और राजभंग योग का निर्माण होगा. इस योग के मंगलकारी प्रभाव से लोगों के जीवन में शुभता आती है और धन संपदा में वृद्धि होती है.
मोहिनी एकादशी पूजा विधि Mohini Ekadashi Puja Vidhi
मोहिनी एकादशी के दिन प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर पूजास्थल को गंगाजल से पवित्र करे और भगवान विष्णु-माँ लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करे. इसके बाद प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराकर धूप- दीप, चन्दन, पुष्प, पीले फल-फूल, पंचामृत व तुलसी दल अर्पित करें फिर एकादशी व्रत कथा और विष्णु मंत्रो का जाप कर आरती करे. इस तरह विधि विधान से पूजा के बाद अगले दिन व्रत का पारण करना चाहिए.
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मोहिनी एकादशी उपाय Mohini Ekadashi Upay
- शास्त्रों के अनुसार मोहिनी एकादशी के दिन 21 पीपल के पत्तो पर श्री हरि लिखकर भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित करने से सभी बिगड़े काम बनने लगते है.
- मोहिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद पीला वस्त्र धारण करना चाहिए. और भगवान विष्णु व माँ लक्ष्मी को दूध और चावल से बनी खीर का भोग लगाना चाहिए इससे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.
- प्राचीन मान्यता अनुसार केले के पेड़ की पूजा से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है ऐसे में एकादशी तिथि के दिन केले के पेड़ के पास घी का दीपक अर्पित करने से दुःख दरिद्रता दूर होने लगती है.
- मोहिनी एकादशी के शुभ अवसर पर यदि आपके द्वार पर गाय या पशु-पक्षी आ जाय तो उन्हें कुछ न कुछ जरूर खिलाएं। ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
- कर्जमुक्ति के लिए एकादशी तिथि को एक लोटा जल में थोड़ी सी चीनी मिलाकर पीपल के वृक्ष में अर्पित करें और संध्या के समय पीपल की जड़ में घी का दीपक जलाना चाहिए।