कजरी तीज तिथि शुभ मुहूर्त Kajari Teej 2018 Date Time Day Vrat Puja Vidhi
कजरी तीज तिथि और पूजा शुभ मुहूर्त Kajari Teej Festival 2018 Pujan Shubh Muhurt
साल 2018 में कजरी तीज त्यौहार 29 अगस्त 2018 बुधवार के दिन मनाई जाएगी.
- साल 2018 कजरी तीज 28 अगस्त 2018 को रात्रि 20:41 मिनट पर शुरू होगी.
- और 29 अगस्त 2018 को रात्रि 21:40 मिनट पर समाप्त होगी.
कजरी तीज कैसे मनाई जाती है How to Celebrate Kajari Teej 2018
शास्त्रों में तीज का पर्व बेहद ही ख़ास महत्व रखता है शादीशुदा महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लम्बी उम्र की कामना के साथ इस व्रत को करती है मान्यता है की इस व्रत को कुंवारी कन्याए भी कर सकती है इस व्रत के प्रभाव से उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है. तीज व्रत करवा चौथ के व्रत की तरह ही होता है इसमें महिलाये पूरे दिन उपवास रखती है और शाम को चंद्रोदय के बाद ही व्रत खोला जाता है. इस दिन जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और अलग-अलग मेवे मिलाकर पकवान बनाये जाते हैं. चंद्रोदय होने पर पूजा के बाद व्रत तोड़ा जाता है. इस दिन गाय की पूजा करने का विधान है.
कजरी तीज पूजा विधि Kajari Teej Vrat Katha 2018 Festival Tips
शास्त्रों की माने तो कजरी तीज के दिन सबसे पहले महिलाएं एक जगह एकत्रित होकर मंदिर में मां पार्वती की प्रतिमा को रेशमी वस्त्र और विभिन्न गहनों से सजाती है. माता की मूर्ति बीच में रखकर एकसाथ पूजा अर्चना करती हैं. सभी महिलाओं साथ में व्रत कथा पढ़ती और सुनती है और अपने पतियों की लम्बी उम्र की कामना करती है व्रत की पूजा के बाद अपनी सास जेठानी या घर की किसी महिला को सुहागी देती हैं और उनका आशीर्वाद लेती है.
कजरी तीज व्रत के नियम Satudi Teej Boodhi Teej Kajari Teej Niyam
कजरी तीज के दिन निर्जला रहकर पूरे दिन व्रत किया जाता है। गर्भवती स्त्री फलाहार कर यह व्रत कर सकती है. यदि किसी कारणवश चांद उदय होते ना दिखे तब रात्रि में आसमान की ओर अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है.
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कजरी तीज का महत्व Importance of Kajari Teej Parv 2018
वैसे तो साल में और भी तीज आती है और हर किसी का अपना अलग और ख़ास महत्व होता है कजरी तीज बरसात के मौसम में आती है माना जाता है की जो भी महिलाये इस दिन व्रत और माता पार्वती की पूजा करती है उन्हें सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है कजरी तीज का दिन भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती के अटूट प्रेम को दर्शाता है इसीलिए यह व्रत खासतौर पर सुहागिन महिलाओं के लिए ख़ास होता है.