हलषष्ठी व्रत पूजन विधि Hal Chatha 2022 Kab Hai
Hal Shashti 2022 Date Time हर साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हलषष्ठी का व्रत रखा जाता है। संतान की दीर्घायु और कुशलता की कामना के लिए महिलाएं यह व्रत रखती हैं। इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। बलरामजी का प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल है जिस कारण उन्हें हलधर भी कहा जाता है। इसे बलराम जन्मोत्सव, चंद्र षष्ठी, रंधन छठ या ललई छठ के रुप में भी मनाया जाता है। आज हम आपको साल 2022 में हल षष्ठी व्रत की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, नियम और व्रत में क्या खाये क्या नहीं इस बारे में बताएँगे.
हलषष्ठी तिथि व शुभ मुहूर्त 2022 Hal Shashti Shubh Muhurat 2022
- साल 2022 में हलषठी का व्रत 17 अगस्त को रखा जायेगा|
- षष्ठी तिथि आरंभ होगी – 16, अगस्त रात्रि 08:17 मिनट पर|
- षष्ठी तिथि समाप्त होगी – 17, अगस्त रात्रि 08:24 मिनट|
हलषष्ठी व्रत पूजन विधि Hal Shashti Puja Vidhi
हलषष्ठी के दिन सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प ले और पूजा-अर्चना के बाद पूरे दिन निराहार रहकर व्रत करना चाहिए. शाम के समय पूजा-आरती के बाद फलाहार किया जाता है. व्रत के दिन घर या बाहर कहीं भी दीवार पर भैंस का गोबर से छठ माता का चित्र बनाकर भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा करे. घर में ही गोबर से प्रतीक रूप में तालाब बनाकर, उसमें झरबेरी, पलाश और कांसी के पेड़ लगा ले और वहां पर बैठकर पूजा के बाद हलषष्ठी व्रत की कथा सुननी चाहिए.
हलषष्ठी व्रत का महत्व Hal Shashti Mahatava
हलषष्ठी व्रत महिलायें अपने पुत्रों व संतान की दीर्घायु के लिए रखती हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से भगवान हलधर व्रती महिला के पुत्रों को लंबी आयु प्रदान करते हैं और उन्हें सुख समृद्धि का वरदान देते है. इसके साथ इस दिन बलराम जन्मोत्सव होने के कारण खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों की पूजा भी की जाती है।
हलषठी व्रत के नियम Hal Shashti Niyam
- प्रत्येक व्रत की तरह इस व्रत के भी कुछ नियम है जिनका पालन व्रती महिला को करना चाहिए.
- हलषष्ठी के दिन माताओं को महुआ की दातुन करने और महुआ खाने की परंपरा है।
- इस दिन व्रत के दौरान अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए.
- ऐसी मान्यता है की हलषष्ठी के व्रत में हल की पूजा की जाती है इसीलिए हल से जुती हुई अनाज और सब्जियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
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- इस व्रत में वही चीजें खाई जाती हैं जो तालाब में पैदा होती हैं. जैसे तिन्नी का चावल, केर्मुआ का साग, पसही के चावल आदि.
- इस व्रत में गाय के किसी भी उत्पाद जैसे दूध, दही, गोबर आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. हलषष्ठी व्रत में भैंस का दूध, दही और घी का प्रयोग किया जाता है.