गणेश चतुर्थी पूजन Ganesh Chaturthi Niyam
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त 2022 Ganesh Chaturthi 2022
- साल 2022 में गणेश चतुर्थी का पर्व 31 अगस्त बुधवार से शुरू होगा|
- गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त होगा – 31 अगस्त प्रातःकाल 11:04 मिनट से दोपहर 01:31 मिनट तक|
- चतुर्थी तिथि प्रारम्भ होगी- 30 अगस्त सायंकाल 03:33 मिनट पर|
- चतुर्थी तिथि समाप्त होगी – 31 अगस्त सायंकाल 03:22 मिनट पर|
गणेश स्थापना पूजा विधि Ganesh Sthapana Vidhi
Ganesh Chaturthi Puja Vidhi गणेश चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद भगवान गणेश का स्मरण करते हुए पूजा का संकल्प लें। पूजा स्थल पर पूर्व की दिशा में मुंह करके आसन पर बैठ जाएं। अब एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उसपर स्वस्तिक का निशान बनाएं। सबसे पहले ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए चौकी पर गणेश प्रतिमा स्थापित करे. अब गणेश जी को हल्दी, चावल, चंदन, गुलाल, सिंदूर, मौली, दूर्वा, जनेऊ, मिठाई, मोदक, फल- फूल, माला अर्पित करे. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की भी विधिवत पूजा कर धूप-दीप जलाकर आरती करें। आरती के बाद गणेश जी को उनके प्रिय मोदक और लड्डू का भोग लगाए.
गणेश जी की पूजा के नियम Ganesh Chaturthi Niyam
- शास्त्रों के अनुसार अगर आप भगवान गणेश जी को घर में स्थापित कर रहे हैं, तो इस बाद का ख्याल रखें कि 10 दिवसीय इस महोत्सव के दौरान न ही भगवान के भोग में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल करें और न ही खुद इसका सेवन करें क्योंकि पूजा-पाठ में किसी भी तरह का तामसिक भोजन वर्जित होता है।
- भगवान गणेश जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित माना गया है इसीलिए गणपति बाप्पा को उनकी पूजा के दौरान तुलसी अर्पित न करे.
- अगर आप गणपति जी की मूर्ति स्थापित करना चाहते हैं, तो इस बात का भी ध्यान रखें कि बप्पा की बैठी हुई प्रतिमा घर लाये क्योकि यह बहुत शुभ होता है.
- शास्त्रों के अनुसार अंधेरे में गणपति जी के दर्शन करना शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए गणेश जी की प्रतिमा की जगह रौशनी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.
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- भगवान गणेश जी की पूजा करते काले रंग के वस्त्र की बजाय लाल और पीले रंग के वस्त्र पहनना अति शुभ माना जाता है.
- शास्त्रों के अनुसार, भगवान गणेश की स्थापना करते समय इस बात का ध्यान रखें कि एक से ज्यादा मूर्ति न रखें।
- गणपति की प्रतिमा खरीदते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह खंडित न हो.
- गणपति की मूर्ति को दक्षिण दिशा में स्थापित नहीं करना चाहिए इसके लिए सबसे शुभ दिशा ईशान कोण मानी जाती है.
- गणेश चतुर्थी या कलंक चतुर्थी पर पर चंद्रदेव के दर्शन नहीं करने चाहिए.
- अगर आपने चतुर्थी के दिन गणपति विराजित किये है तो चतुर्दशी के दिन शुभ मुहूर्त में प्रतिमा का विसर्जन भी जरूर करना चाहिए.