छठ पूजा 2024 पूजा विधि Chhath Pujan Vidhi
छठ पूजा तिथि व शुभ मुहूर्त 2024 Chhath Puja Tithi Shubh Muhurat
- साल 2024 में छठ पर्व 7 नवम्बर गुरूवार के दिन मनाया जाएगा|
- षष्ठी तिथि प्रारम्भ – 7 नवम्बर प्रातःकाल 12:41 मिनट पर|
- षष्ठी तिथि समाप्त – 8 नवम्बर प्रातःकाल 12:34 मिनट पर|
- नहाय खाय तिथि – 5 नवंबर |
- खरना तिथि – 6 नवंबर |
- संध्या अर्घ्य – 7 नवंबर शाम 05:32 मिनट |
- उगते सूर्य को अर्घ्य और व्रत का पारण – 8 नवंबर प्रातःकाल 06:38 मिनट |
पहला दिन नहाय खाय First day of Chhath Puja
छठ पर्व 4 दिनों तक चलता है इसकी शुरुआत नहाय खाय से होती है. इस दिन स्नान के बाद घर की साफ-सफाई की जाती है और सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है. साल 2024 में छठ पर्व 5 नवंबर के दिन नहाय खाय के साथ शुरू होगा.
दूसरा दिन खरना Second Day of Chhath Puja
खरना छठ पूजा का दूसरा महत्वपूर्ण दिन होता है. यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि होती है. इस दिन से ही निर्जल व्रत की शुरुवात होती है. यानि की इस दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति अन्न-जल ग्रहण नहीं करता। इस दिन संध्याकाल के समय छठी मईया का प्रसाद बनाया जाता है.
तीसरा दिन संध्या अर्घ्य Third Day of Chhath Puja
छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. अर्घ्य देने के लिए बाँस की टोकरी में फल, ठेकुआ, चावल से बने लड्डू आदि चीजों से सूप सजाया जाता है और व्रत करने वाला व्यक्ति अपने परिवार के साथ सांध्यकाल के समय सूर्य भगवान को अर्घ्य देता है. सूर्य देव को जल और दूध का अर्घ्य देने के बाद सजाये गए सूप से छठी मैया की पूजा की जाती है। सूर्य उपासना के बाद छठी मैय्या के गीत गाकर व्रत कथा सुनी जाती है।
चौथा दिन उषा काल अर्घ्य Fourth Day of Chhath Puja
छठ पर्व के अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य और पारण किया जाता है. चौथे दिन यानि सप्तमी तिथि को प्रातःकाल सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद छठ मैय्या से परिवार की सुख समृद्धि की कामना की जाती है.
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छठ पूजा नियम Chhath Puja Niyam
- मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा के दौरान सूर्य देव की उपासना की जाती जाती है|
- यह पर्व 4 दिनों का होता है छठ पूजा का व्रत करने वाले व्यक्ति को चारो दिन साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- व्रत के दौरान घर के सदस्यों को सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए.
- पूजा के लिए बांस से बने टोकरी या सूप का इस्तेमाल करना शुभ होता है.
- सूर्यदेव को जल देते समय स्टील या प्लास्टिक बर्तन इस्तेमाल वर्जित माना जाता है.