शनि अमावस्या नियम Shani Amavasya Niyam 2022
भाद्रपद शनि अमावस्या शुभ मुहूर्त 2022 Shani Amavasya 2022
- साल 2022 में भाद्रपद शनि अमावस्या 27 अगस्त शनिवार को होगी|
- अमावस्या तिथि प्रारम्भ होगी – 26 अगस्त दोपहर 12:23 मिनट पर|
- अमावस्या तिथि समाप्त होगी- 27 अगस्त दोपहर 01:46 मिनट पर|
शनि अमावस्या शुभ योग 2022 Shani Amavasya Shubh Yog 2022
पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि 26 अगस्त की दोपहर 12:23 से शुरू होगी जो 27 अगस्त, शनिवार की दोपहर 01:46 तक रहेगी। चूंकि अमावस्या तिथि का सूर्योदय 27 अगस्त को होगा, इसलिए इसी दिन अमावस्या तिथि मानी जाएगी साथ ही अमावस्या से जुड़े उपाय, स्नान-दान और पूजा भी इसी दिन की जाएगी. ज्योतिष की माने तो इस दिन पद्म और शिव नाम के 2 बड़े शुभ योग भी रहेंगे जिससे यह तिथि बहुत ही खास होगी.
शनि अमावस्या पूजा विधि Amavasya Pooja Vidhi
भाद्रपद अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या कहते हैं क्योंकि इस तिथि पर कुशा नाम की एक घास एकत्रित करने की परंपरा है। जिसका उपयोग पूजा में किया जाता है, इस दिन सुबह स्नान के बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य दे और इसके बाद पितरों की आत्म शांति के लिए बहते जल में तिल प्रवाहित करें. शनि देव के मंदिर में जाकर शनि देव की पूजा अर्चना करें. शनि देव को अक्षत्, काला तिल, नीले फूल, सरसों का तेल, शमी का पत्ता आदि अर्पित करें. इसके बाद शनि चालीसा, शनि स्तोत्र का पाठ करें और तिल के तेल का दीपक जलाकर शनि देव की आरती करें.
शनि पूजा के नियम shani pooja ke niyam
शनिदेव को कर्म फल दाता माना गया है वे सभी नवग्रहों में सबसे शक्तिशाली माने जाते है. कहा जाता है की शनिदेव जातक को कर्मो के अनुसार ही फल प्रदान करते है शास्त्रों के अनुसार शनिदेव की पूजा के कुछ विशेष नियम बताये गए है जिनका पालन उनकी पूजा में करने पर जातक को शुभ फल प्राप्त होते है. आइये जनते है शनि पूजा से जुड़े ये नियम क्या है.
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- शनि अमावस्या का दिन हो या अन्य दिनों में की जाने वाली शनि पूजा के दौरान कभी भी शनिदेव को लाल पुष्प नहीं चढाने चाहिए बल्कि उनकी पूजा में नीले रंग के पुष्प का प्रयोग करना शुभ होता है.
- मान्यता है की शनि देव की प्रतिमा के दर्शन करते समय ना तो सीधे दर्शन करने चाहिए और ना ही उनकी आँखों में देखना चाहिए क्योकि शनि की दृष्टि का पड़ना शुभ नहीं माना जाता है.
- शनिदेव पश्चिम दिशा के स्वामी है ऐसे में किसी अन्य दिशा की बजाय उनकी पूजा पश्चिम दिशा में करना श्रेष्ठ होता है.
- शनिदेव की पूजा के समय उन्हें भोग में काले तिल और काली उड़द से बनी खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए इससे शनि दोष दूर होते है.
- शनिदेव की पूजा के दौरान स्वछता का ख़ास ख्याल रखना चाहिए.