सावन शनि त्रयोदशी प्रदोष व्रत पूजा विधि 2020 Pradosh Vrat Poja Vidhi
शनि प्रदोष व्रत तिथि शुभ मुहूर्त Pradosh Vrat August Month Date
- साल 2020 में श्रावण, शुक्ल प्रदोष व्रत 1 अगस्त शनिवार के दिन रखा जाएगा.
- प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त होगा – 1 अगस्त शनिवार सायंकाल 07:12 मिनट से लेकर 09:18 मिनट तक|
- पूजा की कुल अवधि 02 घण्टे 06 मिनट्स की होगी.
- सावन, शुक्ल त्रयोदशी तिथि आरम्भ होगी – 31 जुलाई सायंकाल 10:42 मिनट पर |
- त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी – 1 अगस्त सायंकाल 09:54 मिनट पर |
शनि प्रदोष पूजा विधि Pradosh Vrat Puja Vidhi
जो भी लोग इस दिन व्रत रखते है उन्हें शनि प्रदोष के दिन प्रातः स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए इसके बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान शंकर, माता पार्वती, को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर सभी पूजन सामग्री जैसे बेल पत्र, अक्षत, फल-फूल, धूप, दीप, नैवेद्य पान, सुपारी, लौंग व इलायची आदि चीजे अर्पित करे. प्रदोष काल अर्थात शाम के समय भगवान शिव को पुनः पंचामृत से स्नान कराकर सभी पूजन सामग्री व बिल्वपत्र अवश्य अर्पित करे दीपक जलाकर गं गणपतये नमः और शिव पंचाक्षरी मन्त्र नमः शिवाय का 108 बार जाप करें। क्योकि यह शनि प्रदोष है इसीलिए आज के दिन शनि महाराज की पूजा कर उन्हें काले तिल, काला वस्त्र, तेल, उड़द उनकी प्रिय चीजे चढ़ाना बहुत ही शुभ होता है.
प्रदोष व्रत उद्यापन विधि Pradosh Vrat Udhyapan Vidhi
शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत का उद्यापन पूरे विधि विधान से अवश्य करना चाहिए इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है प्रदोष व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि के दिन ही करना शुभ होता है. उद्यापन से पहले श्री गणेश जी की पूजा करे त्रयोदशी के दिन प्रातःकाल स्नान के बाद ऊँ उमा सहित शिवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप कर हवन कर ले. हवन पूरा होने के बाद भगवान शिव की आरती और शान्ति पाठ करे. इसके बाद ब्रह्माण को भोजन कराकर उद्यापन की विधि पूरी करे.
शनि प्रदोष व्रत के नियम shani pradosh niyam
शास्त्रों में शनि प्रदोष का खास महत्व है शनि कर्मफल दाता है इसीलिए उनकी पूजा में खास सावधानी और कुछ जरूरी नियमो का पालन अवस्य करना चाहिए. तो आइये जानते है इस व्रत से जुड़े जरूरी नियम क्या है.
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- आज के दिन मंदिर और घर में स्वछता का ख्याल रखे.
- साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर ही भगवान शिव और शनि देव की पूजा करें.
- व्रत के दौरान मन में किसी तरीके के गलत विचार ना आने दें.
- शनि प्रदोष के दिन हरे भरे पेड़-पौधों को ना तोड़ें.
- प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही करनी चाहिए. क्योकि त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से 3 घड़ी पूर्व शिवजी का पूजन करना विशेष फल देने वाला होता है.