चैत्र नवरात्री 2019 कब है | Chaitra Navratri Date Time Ghat Sthapana Vidhi

चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त पूजा विधि Chaitra Navratri 2019 Date Time Muhurt

चैत्र नवरात्रीचैत्र नवरात्री- साल भर में चार नवरात्र चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ माह की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक पूरे नौ दिनों के होते हैं। इन चारों नवरात्रो में चैत्र और आश्विन माह की नवरा‍त्रि ही सबसे मुख्य व अहम् मानी जाती है जिन्हें वसंती और शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है. चैत्र नवरात्र की शुरुआत चैत्र माह में होती है जिसमें देवी माँ के साथ-साथ अपने कुल देवी-देवताओं की पूजा का भी विशेष महत्व होता है. आज हम आपको साल 2019 चैत्र माह नवरात्री महापर्व की तिथि शुभ मुहूर्त और नौ दिनों तक जलाई जाने वाली अखंड जोत की विधि व नियमो के बारे में बताएँगे.

चैत्र नवरात्रि 2019 कलश स्थापना मुहूर्त Chaitra Navratri Kalash Sthapana Muhurt

  1. साल 2019 में चैत्र नवरात्रि का आरम्भ 6 अप्रैल शनिवार से होगा जो की 14 अप्रैल तक चलेंगे.
  2. कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त= प्रातः काल 06:09 से 10:19 मिनट तक का होगा।
  3. मुहूर्त की कुल अवधि = 4 घंटे 9 मिनट की होगी.
  4. ध्यान रखे की कलश स्थापना केवल प्रतिपदा तिथि में ही करना शुभ होता है.
  5. प्रतिपदा तिथि आरंभ होगी = 5 अप्रैल शुक्रवार 14:20 मिनट पर।
  6. तथा प्रतिपदा तिथि समाप्त होगी = 6 अप्रैल शनिवार 15:23 मिनट पर।

कलश व घट स्थापना विधि व पूजा विधि Chaitra Navratri Vasanta Navratri Ghat Sthapana

चैत्र नवरात्र जो की नौ दिनों तक चलने वाला देवी माँ को समर्पित पर्व है इसके पूजन की शुरुआत घट स्थापना के साथ होती है. नवरात्री में घट स्थापना का विशेष महत्व होता है प्रात: काल स्नानादि से निवृत होकर व्रत का संकल्प ले और ततपश्चात मिटटी की वेदी बनाकर उसमें जौ बोये. इसी वेदी पर घट यानी की कलश की स्थापना की जाती है. अब इसपर कुल देवी की प्रतिमा स्थापित कर उनका विधिवत पूजन करे संभव हो तो “दुर्गा सप्तशती” का पाठ अवश्य करे. पूजा करते वक़्त कलश के समीप अखंड दीप प्रज्वलित करे. माता के इन नौ दिनों में सच्ची श्रद्धा से पूजा और मंत्रोउच्चारण करने पर मनोकामना शीघ्र ही पूरी होती है.

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अखंड जोत जलाने के नियम Chaitra Navratri Akhand Jot Niyam

  1. माँ को मनाने और अपनी श्रद्धा प्रकट करने के लिए भक्त कई तरीके अपनाते है इन्ही में से एक है अखंड जोत. ऐसा नहीं है की अखंड जोत पीतल के दीप पात्र में ही जलाई जाती है अगर आप पीतल का दीया नहीं जला सकते तो मिट्टी का दीप-पात्र भी ले सकते हैं।
  2. यदि अपने अखंड जोत घर में जलाई है तो इस दौरान घर में कभी ताला नहीं लगाना चाहिए क्योकि जोत की देखरेख के लिए घर में किसी का होना जरूरी होता है.
  3. मान्यता है की नवरात्र में देशी गाय के घी में अखंड ज्योति जलाने पर मां भगवती जल्द ही प्रसन्न होती है और कार्य सिद्धि का वरदान देती है. लेकिन अगर आप घी में ना जला सकें तो तिल या सरसों का तेल भी उत्तम होता है .
  4. मान्यता है कि अगर अपने संकल्प लेकर अखंड ज्योति जलाई गई है तो व्रत पूरे होने तक इसका विशेष ख्याल रखना चाहिए.
  5. अखंड ज्योति का यह दीया खाली जमीन पर नहीं रखना चाहिए इसे किसी चौकी या पटरे पर रखकर ही जलाये.
  6. अखंड जोत को रखने के लिए चौकी पर अष्टदल कमल अवश्य बनएं इसे आप गुलाल या रंगे हुए चावलों से भी बना सकते हैं।
  7. अखंड ज्योति की बाती रक्षासूत्र से बनाये जो की सवा हाथ की लम्बाई की होनी चाहिए.
  8. मान्यता है कि अगर अखंड जोत घी की हो तो इसे देवी माँ की दाईं ओर रखना और यदि ये तेल का है तो इसे बाईं ओर रखना शुभ होता है.
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