वरुथिनी एकादशी पूजा विधि Varuthini Ekadashi Puja VIdhi 2021
वरुथिनी एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त 2021 Varuthini Ekadashi Date time 2021
- साल 2021 में 7 मई शुक्रवार को वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जायेगा|
- एकादशी तिथि प्रारम्भ होगी – 6 मई सायंकाल 02:10 मिनट पर|
- एकादशी तिथि समाप्त होगी -7 मई सायंकाल 03:32 मिनट पर|
- एकादशी व्रत के पारण का समय होगा – 7 मई प्रातःकाल 5 बजकर 35 मिनट से 8 बजकर 16 मिनट तक|
वरुथिनी एकादशी पूजा विधि Varuthini Ekadashi Puja Vidhi
वरुथिनी एकादशी पर भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने का विधान है। इस दिन प्रात: जल्दी उठ कर स्नान कर व्रत का संकल्प ले और फिर पूजास्थल पर भगवान विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित कर उन्हें स्नान कराये इसके बाद उनके सामने दीपक जलाकर श्री हरि विष्णु जी की फल, फूल, दूध, तिल, पंचामृत, तुलसी पत्र आदि सामग्री अर्पित करे. पूजा के समय ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र और विष्णुसहस्त्रनाम का जप करे। इसके बाद एकादशी व्रत कथा पढ़े और आरती करे. अगले दिन अर्थात द्वादशी तिथि को व्रत का पारण कर व्रत सम्पन्न करे. ध्यान रखे की व्रत द्वाद्शी तिथि समाप्त होने से पहले खोल लेना चाहिये.
वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व Varuthini Ekadashi Importance
मान्यता है की जितना पुण्य कन्यादान और वर्षों तक तप करने से प्राप्त होता है उतना ही पुण्य वरुथिनी एकादशी पर भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने से मिलता है यह एकादशी दरिद्रता का नाश करने के साथ ही कष्टों से मुक्ति दिलाती है. इस दिन व्रत के प्रभाव से घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य आता है और मनुष्य के सभी पापों का अंत होता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
एकादशी व्रत का पारण कब करें Varuthini Ekadashi Vrat Paran 2021
शास्त्रों की माने तो एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले ही करना शुभ होता है यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाती है तो इस स्थिति में सूर्योदय के बाद ही पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए। इसलिए जो भी यह व्रत रखते है और व्रत का पारण करते है उन्हें हरि वासर की अवधि समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए और फिर पारण करना चाहिए.
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भूलकर भी न करे ये काम Varuthini ekadashi niyam
शास्त्रों में प्रत्येक व्रत व त्यौहार के कुछ जरूरी नियम बताये गए है इसी तरह वरुथिनी एकादशी के भी कुछ नियम है जिनका पालन व्रती को अवश्य ही करना चाहिए.
- इस दिन कांसे के बर्तन में भोजन करना वर्जित माना गया है.
- वरुथिनी एकादशी में चावल नहीं खाना चाहिए। क्योंकि इसे व्रत में वर्जित माना गया है। इस दिन चावल का त्याग करने से व्रत का दोगुना फल मिलता है।
- वरुथिनी एकादशी के व्रत में लहसुन, प्याज और मसूर की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए।
- वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने वालों को स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर ही विष्णु भगवान का स्मरण करना चाहिए।
- इस व्रत का पालन व शुरुआत दशमी तिथि से होती है। जो द्वादशी तक चलती है। इसमें एकादशी के दिन पूर्ण व्रत रखना चाहिए।