नवरात्री कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त Durga Puja Muhurat 2024
Shardiya Navratri October 2024 शास्त्रों के अनुसार साल में आने वाली चारो नवरात्रि में चैत्र और शारदीय नवरात्रि खास मानी जाती है पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि अश्विन माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारम्भ होती है. नवरात्रि के ये 9 दिन माँ दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों को समर्पित है. अष्टमी नवमी के दिन कन्या पूजन के बाद व्रत का पारण कर दशहरा मनाया जाता है आइये जानते है साल 2024 में शारदीय नवरात्रि कब से कब तक है, कलश या घट स्थापना मुहूर्त, कलश स्थापना विधि, महत्व, अष्टमी, नवमी और दशहरा कब मनाया जायेगा|
शारदीय नवरात्री शुभ मुहूर्त 2024 Shardiya Navratri 2024 Muhurat
- साल 2024 में शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर गुरुवार से 12 अक्टूबर शनिवार तक चलेगा
- प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 3 अक्टूबर प्रातःकाल 12:18 मिनट पर
- प्रतिपदा तिथि समाप्त – 4 अक्टूबर प्रातःकाल 02:58 मिनट पर
- घटस्थापना मुहूर्त – 3 अक्टूबर प्रातःकाल 06:15 मिनट से दोपहर 07:22 मिनट तक
- घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – प्रातःकाल 11:46 मिनट से दोपहर 12:33 मिनट तक
- दुर्गा अष्टमी – 10 अक्टूबर 2024
- महानवमी – 11 अक्टूबर 2024
- दशहरा दशमी तिथि – 12 अक्टूबर 2024
कलश स्थापना विधि Shardiya Navratri 2024 Kalash Sthapana
नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापना की जाती है. इस दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प ले और पूजास्थल पर कलश या घट स्थापना करे. कलश स्थापना के लिए मिट्टी के बर्तन में सप्त धान्य बौ ले. अब उसमे जल से भरा कलश रखे कलश में रोली से स्वस्तिक बना ले. कलश के ऊपरी भाग में कलावा बाँधकर उसे सप्तधान्य वाले पात्र के उपपर रख दे. कलश में अशोक या आम के पत्ते रखकर उसमे सिक्का व दूब डाल दे. इसके बाद एक नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर स्थापित कर दें. कलश स्थापना के बाद नौ दिनों तक माँ के नौ रूपों की विधिवत पूजा करनी चाहिए.
शारदीय नवरात्रि का महत्व Shardiya Navratri importance
शास्त्रों में शारदीय नवरात्रि को धर्म की अधर्म पर और सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक माना जाता है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शारदीय नवरात्रि में पूरे नौ दिनों के लिए माता दुर्गा धरती पर आकर भक्तो की मनोकामनाओ को पूरा करती है. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा की विशेष उपासना करने और अखंड ज्योति प्रज्वलित करने से साधक को सुख-समृद्धि, धन-धान्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।