सावन का महीना कब से है 2023 Sawan 2023 Start Date

सावन सोमवार 2023 Sawan Start Date 2023

Sawan 2023 Start DateSawan 2023 Start Date शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव की उपासना के लिए सावन का महीना बहुत ही शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि जो भी भक्त सावन के महीने में भगवान शिव की सच्ची श्रद्धा से उपासना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। वैसे तो सावन का पूरा महीना खास होता है लेकिन सावन में आने वाले सोमवार और मंगलागौरी व्रत बेहद शुभ होते है. पंचांग के अनुसार इस बार सावन का महीना एक नहीं बल्कि दो महीनो का होने वाला है आइये जानते है सावन 2023 कब से है, सावन सोमवार व्रत कब-कब है, सावन का पहला सोमवार व्रत कब रखा जायेगा और सावन सोमवार पूजा विधि क्या है|

सावन मास 2023 शुभ तिथि Shravan Month 2023 Start Date

  1. सावन मास का प्रारम्भ सावन कृष्ण प्रतिपदा से होता है
  2. श्रावण कृष्ण प्रतिपदा का आरंभ होगा – 3 जुलाई शाम 05:08 मिनट पर
  3. श्रावण कृष्ण प्रतिपदा समाप्त होगी – 4 जुलाई दोपहर 01:38 मिनट पर
  4. सावन माह शुरू होगा – 4 जुलाई 2023
  5. सावन माह समाप्त होगा – 31 अगस्त 2023
  6. पंचांग के अनुसार इस साल सावन 59 दिनों का होगा|
  7. इस साल अधिक मास होने के कारण सावन का महीना एक नहीं बल्कि दो महीने का होगा|

सावन सोमवार व्रत 2023 Sawan Somwar all Dates

  1. सावन का पहला सोमवार – 10 जुलाई
  2. सावन का दूसरा सोमवार – 17 जुलाई
  3. सावन का तीसरा सोमवार – 24 जुलाई
  4. सावन का चौथा सोमवार – 31 जुलाई
  5. सावन का पांचवा सोमवार – 07 अगस्त
  6. सावन का छठा सोमवार – 14 अगस्त
  7. सावन का सातवां सोमवार – 21 अगस्त
  8. सावन का आठवां सोमवार – 28 अगस्त

सावन सोमवार पूजा विधि Sawan Ka Mahatva

सावन का महीना भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सबसे उत्तम होता है। सावन में पड़ने वाले सोमवार का विशेष महत्व है क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। ऐसे में सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई कर स्नान करें। स्नान के बाद घर के पूजा स्थल पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित कर व्रत का संकल्प लें। पूजा में भगवान शिव और माता पार्वती की षोडशोपचार विधि से पूजा करें। इसके बाद शिवमंदिर जाकर शिवलिंग का गंगाजल, घी, गन्ने का रस, दूध और दही से अभिषेक कर उनकी प्रिय सामग्री अर्पित करे. पूजा में ऊं नम:शिवाय मंत्र का जाप करें। इसके बाद शिव चालीसा और रुद्राष्टक का पाठ कर शिव कथा और आरती करें।

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