रामनवमी कब है 2024 Ram Navami 2024 Date Time

रामनवमी पूजा विधि Ram Navami Puja Vidhi

Ram Navami 2024 Date Time पंचांग के अनुसार रामनवमी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है. चैत्र माह से हिंदू नववर्ष शुरू होती है. इसी माह में शक्ति साधना का पर्व नवरात्रि भी मनाई जाती है. चैत्र नवरात्रि के नवें दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था इसीलिए इस दिन को राम नवमी के रूप में मनाते है. इसी दिन कन्या पूजन भी किया जाता है. आइये जानते है साल 2024 में राम नवमी कब है, पूजा का मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और श्री राम जन्म कथा क्या है|

रामनवमी शुभ मुहूर्त 2024 Ramnavmi Shubh Muhurat 2024

  1. साल 2024 में राम नवमी 17 अप्रैल बुधवार के दिन मनाई जाएगी|
  2. मध्याह्न पूजा मुहूर्त होगा – 17 अप्रैल प्रातःकाल 11:03 मिनट से दोपहर 01:38 मिनट तक|
  3. नवमी तिथि आरंभ होगी – 16 अप्रैल दोपहर 01:23 मिनट पर|
  4. नवमी तिथि समाप्त होगी – 17 अप्रैल दोपहर 03:14 मिनट पर|

राम नवमी पूजा विधि Ramnavmi Puja Vidhi

शास्त्रों के अनुसार रामवनमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करे और पूजा स्थल पर भगवान श्री राम व माता सीता की प्रतिमा स्थापित करे. इसके बाद प्रतिमा को फूल माला से सजाकर चन्दन से तिलक कर सभी पूजन सामग्री, भोग व धूप-दीप अर्पित करे. इसके बाद मंत्र जाप, राम रक्षा श्रोत, रामवनमी व्रत कथा और आरती करे. धार्मिक मान्यता अनुसार श्री राम जी को उनकी पूजा में तुलसी का पत्ता और कमल का फूल चढ़ाना विशेष रूप से लाभकारी होता है.

रामनवमी महत्व Ramnavmi Mahtva

धार्मिक मान्यता अनुसार सनातन धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने भगवान् राम का अवतार लिया. इस दिन भगवान राम की पूजा से यश और वैभव की प्राप्ति होती है और जीवन में हमेशा सुख समृद्धि रहती है. इस दिन राम रक्षा स्तोत्र का पाठ, पवित्र नदियों में स्नान करने का भी विशेष महत्व है. कहा जाता है की भगवान श्री राम ने देवी दुर्गा की पूजा की जिससे उन्हें लंका पर विजय प्राप्त हुई.

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श्री राम जन्मकथा Shree Ram Janm Katha

पौराणिक कथा अनुसार पराक्रमी राजा दशरथ की 3 रानियाँ थी लेकिन उन्हें किसी भी रानी से कोई संतान ना थी. जिस कारण वह दुखी रहा करते। एक बार ऋषि मुनियो के परामर्श से उन्होंने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया. यज्ञ से प्राप्त खीर राजा ने अपनी पत्नी कौशल्या को खाने को दी माता कौशल्या ने खीर का आधा-आधा हिस्सा कैकयी और सुमित्रा को दिया। तीनों रानियों ने इस खीर का सेवन किया जिससे बाद चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में माता कौशल्या ने भगवान श्री राम माता कैकयी ने भरत और माता सुमित्रा ने लक्ष्मण व शत्रुघ्न को जन्म लिया.

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