नवरात्रि अष्टमी नवमी कन्या पूजन मुहूर्त Navratri Kanya Pujan Muhurat 2023

नवरात्रि 2023 अष्टमी नवमी कब है Navratri 2023

Navratri Kanya Pujan Muhurat 2023Navratri Kanya Pujan Muhurat 2023 शास्त्रों के अनुसार नवरात्रो के 9 दिनों में माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों का पूजन किया जाता है. नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथियां खास मानी जाती है इन तिथियों में लोग कन्या पूजन कर माँ का आशीर्वाद प्राप्त करते है. मान्यता है की नवरात्रि में व्रत व पूजन का पूर्ण फल कन्या पूजन के बिना प्राप्त नहीं होता है. देवी पुराण के अनुसार अष्टमी या नवमी केदिन 9 कन्याओं की पूजा जरूर करनी चाहिए. कन्या के साथ बटुक पूजन से देवी दुर्गा बेहद प्रसन्न होती हैं. आइए जानते हैं इस साल महाअष्टमी और महानवमी व्रत कब है, कन्या पूजन कब किया जायेगा, अष्टमी नवमी कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त, विधि और कन्या पूजन को कितने घंटे का शुभ समय मिलेगा|

अष्टमी तिथि व कन्या पूजन मुहूर्त 2023 Durga Ashtami Shubh Muhurat

  1. साल 2023 में चैत्र नवरात्रि की दुर्गा महाष्टमी 29 मार्च को मनाई जाएगी|
  2. अष्टमी तिथि प्रारम्भ होगी – 28, मार्च रात्रि 07:02 मिनट पर|
  3. अष्टमी तिथि समाप्त होगी – 29 मार्च रात्रि 09:07 मिनट पर|
  4. शोभन योग शुरू होगा – 28 मार्च, रात 11.36
  5. शोभन योग समाप्त होगा – 29 मार्च, दोपहर 12.13 मिनट|
  6. यदि आप महाष्टमी पर कन्या पूजन कर रहे है तो 29 मार्च को दोपहर 12.13 मिनट तक का समय बेहद खास है|

महानवमी तिथि व कन्या पूजन मुहूर्त 2023 Maha Navami Shubh Muhurat 2023

  1. साल 2023 में चैत्र नवरात्रो की महानवमी 30 मार्च गुरुवार को मनाई जाएगी|
  2. नवमी तिथि प्रारम्भ होगी – 29, मार्च रात्रि 09:07 मिनट पर|
  3. नवमी तिथि समाप्त होगी – 30, मार्च रात्रि 11:30 मिनट पर|
  4. अभिजीत मुहूर्त होगा – प्रातः 11: 45 मिनट से दोपहर 12: 30 मिनट तक।
  5. सर्वार्थ सिद्धि योग होगा – 30 मार्च प्रातःकाल 06:14 मिनट से 31 मार्च प्रातःकाल 06:12 मिनट तक|
  6. महानवमी के दिन कन्या पूजन के लिए पूरा दिन शुभ है|

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कन्या पूजन विधि Chaitra Navratri Kanya pujan 2023

महाष्टमी और महानवमी, जिस दिन भी आप कन्या पूजन करना चाहते हैं सर्वप्रथम मां दुर्गा की आरधना करें। अब इसके बाद 9 कन्याओं और 1 बालक को बटुक के रूप में घर बुलाकर उन्हें आसन पर उन्हें बिठाएं और स्वच्छ जल से कन्याओं के पैर दुलाएं अब उनका तिलक करे और फिर उन्हें भोजन करवाए. भोजन में कन्याओ को हलवा, चना और पूड़ी का भोग लगाएं। कन्याओं को भोग लगाने के बाद उन्हें दक्षिणा दें और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें। अब स्वयं भी प्रसाद खाकर व्रत का पारण करना चाहिए।

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