महाशिवरात्रि पूजा विधि Maha Shivratri Pooja Vidhi
महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त 2024 Maha Shivratri Date Time 2024
- साल 2024 में महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च शुक्रवारके दिन मनाया जाएगा|
- चतुर्दशी तिथि शुरू होगी – 8 मार्च रात्रि 09:57 मिनट पर|
- चतुर्दशी तिथि समाप्त होगी – 9 मार्च सायंकाल 06:17 मिनट पर|
- निशिथ काल पूजा का समय होगा – 9 मार्च सुबह 12:04 मिनट से 12:52 बजे तक|
- महाशिवरात्रि व्रत का पारण होगा – 9 मार्च सुबह 06:27 मिनट से सायंकाल 03:28 मिनट|
रात्रि चारो प्रहर पूजा मुहूर्त 2024 Maha Shivratri Puja Muhurat 2024
- रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – सायंकाल 06:29 मिनट से रात्रि 09:28 मिनट तक
- रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – रात्रि 09:28 मिनट से 9 मार्च सुबह 12:28 मिनट तक
- रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – 9 मार्च प्रातः काल 12:28 मिनट से 03:28 मिनट तक
- रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा का समय – 9 मार्च प्रातः काल 3:28 मिनट से 06:27 मिनट तक
महाशिवरात्रि व्रत पूजा विधि Maha Shivratri Puja Vidhi 2024
शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर वस्त्र धारण करे और व्रत का संकल्प ले. रोजाना की तरह सुबह की पूजा करे. महाशिवरात्रि पर रात्रिकाल के चारो प्रहरों में पूजा का विशेष महत्व है पूजा के शुभ मुहूर्त में महादेव को पंचामृत से स्नान कराकर ‘ॐ नमः शिवायः’ मंत्र का जाप करे. इसके बाद धूप-दीप जलाकर महादेव को बिल्व पत्र, साबूत अक्षत, धतूरा, चन्दन, पुष्प, अर्पित कर खीर का भोग लगाए. अंत में भगवन शिव की आरती करे. महाशिवरात्रि के दिन रात्रि के चारों प्रहर में की गयी पूजा से भगवान्स शिव प्रसन्न होकर मनोकामना पूरी करते है.
महाशिवरात्रि व्रत के नियम Maha Shivratri Niyam 2024
- धार्मिक मान्यता अनुसार महाशिवरात्रि के दिन जल्दी उठाकर भगवन शिव का धयान करना चाहिए.
- पूजा के शुभ मुहूर्त में महादेव का जलाभिषेक करना शुभ होता है.
- पूजा में महादेव का पंचामृत से अभिसेक कर उन्हें चन्दन का तिलक करना चाहिए.
- भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते समय ध्यान रखे की बेलपत्र के तीनों पत्ते पूरे हों और चढ़ाते समय इसका चिकना भाग शिवलिंग से स्पर्श करता हुआ होना चाहिए.
- भगवान शिव को पूजा में कदंब और केतकी के फूल न चढ़ाये.
- शिव पूजा के समय शंख से जल अर्पित करना वर्जित होता है.
- शिवलिंग पर कभी भी नारियल पानी नहीं चढ़ाना चाहिए.
- व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए.
- व्रत के पारण में सात्विक भोजन ही ग्रहणकरना चाहिए.