छठ पूजा 2023 शुभ मुहूर्त Chhath Puja 2023 Date Time Muhurat

छठ पूजा 2023 पूजा विधि Chhath Pujan Vidhi

Chhath Puja 2023 Date Time Muhurat शास्त्रों में छठ पर्व की विशेष मान्यता है छठ पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इसे सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार छठ पूजा का त्यौहार दीपावली के 6 दिन बाद आता है। जो 4 दिनों तक चलता है विशेषकर यह पर्व सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया को समर्पित है छठ पूजा के दिन सूर्य देव और छठी मैया की पूजा कर उन्हें अर्घ्य देने का विधान है। आइये जानते है साल 2023 छठ पर्व की शुभ तिथि, पूजा व अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त, विधि और इस व्रत के नियम क्या है|

छठ पूजा तिथि व शुभ मुहूर्त 2023 Chhath Puja Tithi Shubh Muhurt  

  1. साल 2023 में छठ पूजा का पर्व 19 नवम्बर रविवार के दिन मनाया जाएगा|
  2. छठ पूजा के दिन सूर्योदय का समय होगा- प्रातःकाल 06:46 मिनट|
  3. छठ पूजा के दिन सूर्यास्त का समय होगा- शाम 05:26 मिनट|
  4. षष्ठी तिथि प्रारम्भ होगी- 18 नवम्बर प्रातःकाल 09:18 मिनट पर|
  5. षष्ठी तिथि समाप्त होगी- 19 नवम्बर प्रातःकाल 07:23 मिनट पर|
  6. नहाय खाय तिथि होगी- 17 नवंबर शुक्रवार |
  7. खरना तिथि होगी- 18 नवंबर शनिवार|
  8. संध्या अर्घ्य – 19 नवंबर रविवार|
  9. उगते सूर्य को अर्घ्य और व्रत का पारण होगा- 20 नवंबर |

पहला दिन नहाय खाय First day of Chhath Puja

छठ पर्व 4 दिनों तक चलता है इसे चार दिवसीय उत्सव भी कहा जाता है इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होकर कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि को इसका समापन किया जाता है. नहाय खाय छठ पूजा का पहला दिन होता है इस दिन स्नान के बाद घर की साफ-सफाई की जाती है और सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है. साल 2023 में छठ पर्व 17 नवंबर शुक्रवार के दिन नहाय खाय के साथ शुरू होगा.

दूसरा दिन खरना Second Day of Chhath Puja

खरना छठ पूजा का दूसरा महत्वपूर्ण दिन होता है. यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि होती है. इस दिन से ही निर्जल व्रत की शुरुवात होती है. यानि की इस दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति अन्न-जल ग्रहण नहीं करता। इस दिन संध्याकाल के समय छठी मईया का प्रसाद बनाया जाता है.

तीसरा दिन संध्या अर्घ्य Third Day of Chhath Puja

छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के समय डूबते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है. अर्घ्य देने के लिए बाँस की टोकरी में फल, ठेकुआ, चावल से बने लड्डू आदि चीजों से सूप सजाया जाता है और व्रत करने वाला व्यक्ति अपने परिवार के साथ सांध्यकाल के समय सूर्य भगवान को अर्घ्य देता है. सूर्य देव को जल और दूध का अर्घ्य देने के बाद सजाये गए सूप से छठी मैया की पूजा की जाती है। सूर्य उपासना के बाद छठी मैय्या के गीत गाकर व्रत कथा सुनी जाती है।

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चौथा दिन उषा काल अर्घ्य Fourth Day of Chhath Puja

छठ पर्व के अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है. चौथे दिन यानि सप्तमी तिथि को प्रातःकाल सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए किसी नदी के घाट पर पहुंचकर उगते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाता हैं और छठ मैय्या से अपने परिवार की सुख समृद्धि कि कामना की जाती है. इसी दिन व्रत का पारण भी किया जाता है.

छठ पूजा नियम Chhath Puja Niyam

  1. मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा के दौरान सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है कहते है की सूर्य के प्रकाश में कई रोगों को नष्ट करने की क्षमता होती है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को आरोग्य और तेज की प्राप्ति होती है।
  2. छठ पूजा का व्रत करने वाले व्यक्ति को इस पर्व के चारो दिन साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  3. व्रत के नियम अनुसार व्रत करने वाले और घर के सदस्यों को सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए.
  4. पूजा के लिए बांस से बने टोकरी या सूप का इस्तेमाल करना शुभ होता है.
  5. सूर्यदेव को जल देते समय स्टील या प्लास्टिक बर्तन इस्तेमाल वर्जित माना जाता है.
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